कनाडा: यूनिवर्सिटी ने जुलाई 2016 को यह घोषणा की कि वह पहली जीका वैक्सीन का प्रयोग मनुष्यों पर करेगा. यह वैक्सीन अभी विकसित की जा रही है जिसका भविष्य में मनुष्यों पर प्रयोग किया जायेगा. अब तक इसका प्रयोग केवल चूहों पर किया गया है.
यूनिवर्सिटी लावल के प्रोफेसर गैरी कोबिंगर ने कहा कि वे इस अंतरराष्ट्रीय टीम का सदस्य बनकर बेहद प्रसन्न हैं एवं इस प्रयोग के सभी चरणों को पूरा करने में पूरा सहयोग करेंगे.
जीका वैक्सीन को यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन एवं हेल्थ कनाडा द्वारा स्वीकृति दी जा चुकी है.
कोबिंगर पेशे से माइक्रोबायोलॉजी एवं मेडिसिन के प्रोफेसर एवं डॉक्टर हैं तथा वे इस शोध में आरंभ से जुड़े रहे हैं.
जीका वायरस
• यह बीमारी एडिस मच्छर के काटने से होती है.
• जीका से पीड़ित व्यक्ति को बुखार, त्वचा पर चकते, कंजक्टीवाइटिस, जोड़ों में दर्द, सरदर्द आदि लक्षण दिखाई देते हैं. यह लक्षण अधिकतर 2-7 दिन तक रहते हैं.
• जीका वायरस से होने वाली स्नायु तंत्र की परेशानियों के कारण भी यह खतरनाक माना जाता है .
• इससे जन्म लेने वाले बच्चों में अत्यधिक खतरा देखा गया है.
• इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज ढूंढा नहीं जा सका है.
• करीब दर्जन भर कम्पनियां जीका वायरस के शोध में लगी हैं जिसमें फ्रांस की सनोफी एवं भारत की भारत बायोटेक भी शामिल हैं.