करंट अफेयर्स : वायुसेना को मिला युद्धक विमान तेजस
करंट अफेयर्स : वायुसेना को मिला युद्धक विमान तेजस
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बेंगलूरु: काफी लंबे इंतजार के बाद वायुसेना को शुक्रवार को स्वदेशी हल्का युद्धक विमान तेजस मिल गया। वायुसेना दो विमानों के साथ तेजसके लिए नए स्क्वाड्रन फ्लाइंग डैगर का गठन करेगी। फिलहाल यह स्क्वाड्रन बेंगलूरु में ही रहेगा। बाद में इसे तमिलनाडु में कोयम्बटूर के पास सलूर वायुसैनिक अड्डे पर हस्तांतरित कर दिया जाएगा.

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि दक्षिणी वायुसेना कमान के प्रमुख एयर मार्शल जसवीर वालिया शहर के एयरक्राफ्ट सिस्टम टेस्टिंग एस्टैबलिशमेंट (एएसटीई) में आयोजित कार्यक्रम में दो तेजस विमानों को औपचारिक तौर पर वायुसेना के बेड़े में शामिल किया। पिछले 17 मई को बेंगलूरु प्रवास के दौरान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने भी तेजस विमान को उड़ाया था और उसे वायुसेना में शामिल किए जाने के लिए उपयुक्त बताया था। वायुसेना अधिकारियों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 6 और अगले साल 8 तेजस विमान मिलने की उम्मीद है। इसके बाद दो सालों में 16 और विमान वायुसेना को मिलेंगे.

वायुसेना अधिकारियों के मुताबिक अगले साल के अंत तक तेजस को युद्धक मोर्चों पर भी तैनात किया जा सकता है। रक्षा हलकों में तेजस को चीन और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित जेएफ-17 विमानों से बेहतर माना जा रहा है.

मिग-21 के बेड़ों का लेगा स्थान

तेजस वायुसेना के बेड़े में पुराने हो चुके मिग-21 विमानों का स्थान लेगा। रूस निर्मित मिग-21 विमान काफी पुराने हो चुके हैं और कल-पुर्जे नहीं मिल पाने के कारण उनके रख-रखाव में भी समस्या आ रही है। वायुसेना के बेड़े में अभी करीब 250 मिग श्रेणी के विमान हैं जिन्हें अगले 10 सालों में चरणबद्ध तरीके से हटाया जाना है। इन विमानों की जगह सरकार तेजस को शामिल करना चाहती है। पिछले महीने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि अगले साल मिग-21 के दो स्क्वाड्रन सेवा से बाहर होंगे और उनकी जगह तेजस को तैनात किया जाएगा। पर्रिकर ने कहा था कि पुराने हो चुके मिग विमानों की तुलना में स्वदेशी तेजस ज्यादा अच्छा है.

हर स्क्वाड्रन में होंगे 20 विमान

वायुसेना अधिकारियों के मुताबिक तेजस के हर स्क्वाड्रन में 20 विमान होंगे जिनमें चार रिजर्व होंगे। योजना के मुताबिक वायुसेना के बेड़े में पहले 20 विमान सिर्फ प्रारंभिक परिचालन अनुमति (आईओसी) के साथ शामिल होंगे जबकि बाकी 20 अंतिम परिचालन मंजूरी (एफओसी) के साथ शामिल होंगे। एफओसी वाले तेजस विमान दृश्य सीमा से दूर मार करने में सक्षम प्रक्षेपास्त्रों व अन्य सुविधाओं से लैस होंगे। वायुसेना की योजना तेजस के उन्नत संस्करण तेजस मार्क-1ए के 80 विमानों को बेड़े में शामिल करने की है। उन्नत संस्करण मेंं हवा में ईंधन भरने सहित कई अन्य अत्याधुनिक युद्धक सुविधाएं होंगी। उन्नत श्रेणी के तेजस मार्क-1ए विमानों की कीमत 270 से 300 करोड़ रुपए के बीच होगी।

फ्लाइंग डैगर ही क्यों

तेजस विमानों के लिए नए स्क्वाड्रन के गठन के साथ ही वायुसेना के बेड़े में 14 साल बाद फिर से फ्लाइंग डैगर स्क्वाड्रन पुनर्जीवित हो जाएगा। वर्ष 2002 में यह स्क्वाड्रन अपने बेड़े के पुराने हो चुके मिग-21 विमानों को सेवा से बाहर किए जाने के बाद अस्तित्वहीन हो चुका था। करगिल युद्ध के दौरान 1999 में कच्छ रण में इसी स्क्वाड्रन के मिग विमान ने पाकिस्तानी वायुसेना के फ्रांस निर्मित अटलांटिक विमान को मार गिराया था। हवा में भारतीय वायुसेना की ओर से किसी विमान को निशाना बनाए जाने की यह अंतिम घटना थी। जानकारों के मुताबिक वायुसेना में अभी ऐसे 10 स्क्वाड्रन हैं जो विमानों के सेवा बाहर होने के कारण अस्तित्व हो चुके हैं। वायुसेना के स्वीकृत स्क्वाड्रनों की संख्या 42 है लेकिन अभी सिर्फ 33 स्क्वाड्रन ही सक्रिय सेवा में हैं। अमूमन वायुसेना के किसी बेड़े में 18 से 20 विमान होते हैं.

अब भी एफओसी का इंतजार

तेजस एक ऐसा विमान है जिसे दो बार आईओसी मिला लेकिन इसके बावजूद अभी इसे एफओसी नहीं मिल पाया है। जनवरी 2015 में जब पर्रिकर ने राहा को पहला तेजस विमान सौंपा था उस वक्त इसका विकास करने वाली एजेंसी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने वायुसेना की ओर से बताई गई 43 खामियों को दूर कर दिसम्बर 2015 तक एफओसी हासिल करने का वादा किया था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। डीआरडीओ बताए गए खामियों में से 19 को ही दूर कर पाया है। शुक्रवार को वायुसेना के बेड़े का हिस्सा बनने वाले विमान आईओसी श्रेणी के ही होंगे। तेजस को इस साल के अंत तक एफओसी मिलने की उम्मीद है। तेजस को पहला आईओसी 2013 में मिला था।

13 हजार करोड़ खर्च

नियंत्रक व महालेखा परीक्षक की पिछले साल की रिपोर्ट के मुताबिक तेजस के विकास पर 13 हजार 500 (इसमें कावेरी इंजन, तेजस के नौसेना संस्करण आदि का खर्च शामिल नहीं) करोड़ रुपए खर्च हो चुका है। स्वदेशी युद्धक विमान के विकास की परिकल्पना भारत-चीन युद्ध के उपरांत 70 के दशक में बनी थी लेकिन इस पर काम 80 के दशक में शुरू हुआ था। 2001 में पहली बार तेजस ने उड़ान भरी थी। डीआरडीओ तेजस के लिए काफी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद स्वदेशी कावेरी इंजन का विकास नहीं कर पाया। तेजस में अभी अमरीकी इंजन का उपयोग किया जा रहा है। वायुसेना तेजस की मौजूदा सामरिक क्षमताओं से संतुष्ट नहीं है।

वायुसेना का कहना है कि विमान उसकी अपेक्षाओं और जरुरत के अनुरुप नहीं है लेकिन इस साल जनवरी में सरकार ने वायुसेना को तेजस को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए कहा था। साथ ही सरकार ने वायुसेना को अपनी अपेक्षाओं को बताने के लिए कहा था कि ताकि डीआरडीओ और विमान का उत्पादन करने वाली बेंगलूरु की विमान निर्माता कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के वैज्ञानिक उसके अनुरुप काम कर सके और सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा मिले.

चार दशक पुराना सपना

भारत ने पहली बार वर्ष 196 9 में स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने की योजना बनाई थी। सरकार ने एचएएल की उस योजना को स्वीकार किया जिसमें उसने स्वदेशी तकनीक से एक उन्नत विमान की डिजाइन तैयार करने और उसे विकसित करने की बात कही थी। उस विमान में किसी प्रमाणित कंपनी के इंजन के प्रयोग करने की बात कही गई थी। एचएएल ने वर्ष 1975 में विमान की डिजाइन तैयार करने के लिए अध्ययन पूरा किया, लेकिन किसी विदेशी निर्माता से चयनित इंजन की खरीद को लेकर निर्णय नहीं हो सका.

परियोजना रुक गई। इसके बाद वर्ष 198 3 में पहली बार हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) की परियोजना शुरू हुई। उस समय परियोजना के दो मुख्य उद्देश्य तय किए गए। पहला और प्रमुख उद्देश्य पुराने हो रहे रूसी युद्धक मिग-21 को विस्थापित करना और दूसरा एयरोस्पेस के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना। तेजस के पहले स्क्वाड्रन के गठन के साथ ही लगभग चार दशक पुराना वह सपना साकार होगा.

पहली उड़ान के बाद भी लगे 15 साल

करीब 15 साल पहले 4 जनवरी 2001 को स्वदेशी युद्धक विमान के विकास की नींव तब पड़ी जब पहली बार तेजस ने उड़ान भरी। विंग कमांडर राजीव कोठियाल ने सुबह 9.15 बजे एचएएल हवाई अड्डे पर तेजस में उड़ान भरने को तैयार थे। तेजस के ठीक पीछे दो मिराज 2000 विमान परीक्षण उड़ान का पीछा करने के लिए तैनात थे। देखते ही देखते तेजस ने उड़ान भरी और कामयाबी की नई कहानी रचते हुए यह साबित कर दिया कि आज नहीं तो कल स्वदेशी युद्धक का सपना जरूर साकार होगा। करीब 15 साल बाद वह सपना साकार होने जा रहा है। तेजस वायुसेना की ताकत बनने जा रहा है।

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