अमेरिका में बढ़ रही कोरोना की मार, खंडहर में तब्दील हुआ शहर
अमेरिका में बढ़ रही कोरोना की मार, खंडहर में तब्दील हुआ शहर
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वाशिंगटन: एक तरफ से लगातार बढ़ता जा रहा कोरोना का प्रकोप आज न केवल लोगों के लिए आफत, जान का दुश्मन बल्कि महामारी भी बनता जा रहा है. लोगबाग़ अपने घरों  के अंदर कैद होकर रह गए है. हर दिन खाने पीने की समस्या बढ़ती ही जा रही है, छोटे छोटे बच्चे कई जगहों पर भूख के मारे दम तोड़ दे रहे है. तो कही पूरा परिवार आत्महत्या कर रहा है. यदि ऐसा ही चलता रहा तो बहुत ही जल्द पूए दुनिया में प्रलय आ जाएगा और कोई भी मानवीय कण भी देखने को नहीं मिलेगा. 

वहीं कोरोना वायरस के चलते अमेरिकी अर्थव्यस्था जहां बदहाल हुई है, वहीं इसका असर रोजगार पर भी पड़ा है. कंपनियों द्वारा छंटनी किए जाने से बेरोजगारी में काफी इजाफा हुआ है. सरकारी आंकड़ों मुताबिक, आने वाले दिनों में स्थिति नाटकीय रूप से खराब हो सकती है. श्रम विभाग ने बताया कि अमेरिकी रोजगार में मार्च में 7,01,000 तक की गिरावट आई और बेरोजगारी दर 4.4 फीसद तक बढ़ गई. फिर भी विभाग ने स्वीकार किया कि उसके आंकड़े अभी तक नुकसान की पूरी सीमा को पकड़ नहीं सके हैं. वहीं अर्थशास्त्रि‍यों को डर है कि अप्रैल में आंकड़े विनाशकारी होंगे...

भूतहा लगने लगे शहर: मिली जानकारी के अनुसार अमेरिका में जहां मृतकों की संख्या 6 हजार को पार कर चुकी है, शहर भूतहा लगने लगे हैं. अधिकारी अर्थव्यवस्था और व्यक्तियों की बर्बादी को कम करने का तरीका खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ग्रांट थॉर्नटन की डायन स्वांक ने कहा कि मार्च में रोजगार में गिरावट मंदी की शुरुआत के लिहाज से अभूतपूर्व थी और अप्रैल में स्थिति 20 गुना से भी ज्यादा खराब हो जाएगी. उन्होंने एक विश्लेषण में कहा कि हम इस संकट के पहले दो महीनों में बड़ी आर्थिक मंदी के दौरान कई नौकरियां अधिक आसानी से खो देंगे.

विनाशकारी होंगे अप्रैल में आंकड़े: जंहा यह भी कहा जा रहा है कि मासिक रिपोर्ट से पता चलता है कि मार्च 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के अलावा 45 से अधिक वर्षों में बेरोजगारी दर पिछले महीने सबसे ज्यादा रही. हालांकि, श्रम विभाग ने कहा है कि वह मार्च में जॉब मार्केट पर महामारी के प्रभावों का ठीक से आकलन नहीं कर सका है. उन लोगों को गिनने में त्रुटि हो सकती है, जो पिछले महीने बेरोजगार हुए. विभाग के अनुसार जितने लोगों के बेरोजगार होने की बात कही जा रही है, वास्तविक आंकड़ा उससे अधिक हो सकता है. अर्थशास्त्रि‍यों को आशंका है कि अप्रैल में आंकड़े विनाशकारी होंगे. बेरोजगारी की दर दोहरे अंकों में होगी और दो करोड़ लोगों के बेरोजगार होने का खतरा है.

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