नई दिल्ली : सोमवार को राज्यसभा में उस समय विवादास्पद स्थिती पैदा हो गई जब कांग्रेस की वरिष्ठ सांसद कुमारी सैलजा भावुक हो गई। दरअसल राज्यसभा में विंटर सेशन के दौरान राज्यसभा में चर्चा के दौरान यह वाकया हुआ। सैलजा ने कहा- गुजरात में विकास के नाम पर क्या हो रहा है ये मुझसे पुछ लिजिए। पूरे देश में कही भी मुझसे ऐसा भेदभाव नहीं हुआ लेकिन गुजरात के द्वारका मंदिर में मुझसे जात पूछी गई।
आखिर शैलजा भावुक क्या हुई?
- इससे पहले में गुजरात तब गई थी जब यूपीए सरकार में मंत्री थी, दरअसल इस संविधान के कारण, हमारे फाउंडिंग फादर्स के कारण हम यहां पहुंचे।
- में हिंदु हूँ इस कारण भारत के सभी मंदिरों में दर्शन करने की मेंरी इच्छा होती है, लेकिन ये नहीं पता था कि में दलित भी हूँ, और भारत में ये भी मायने रखता है।
-भारत में कहीं भी मुझसे इस प्रकार का भेदभाव नहीं हुआ, लेकिन गुजरात में द्वारका के मंदिर गई तब मुझे असल में गुजरात माॅडल का पता चला। ऐसा कहते-कहते सैलजा काफी भावुक हो गयी।
- सोमवार को राज्यसभा में सैलजा के इस बयान पर काफी हंगाम हुआ इस पर सैलजा ने कहा- आज मुझे काफी रूकसत महसूस हो रहा है जब राज्यसभा में मेरी बातों पर हंगामा और सवाल खड़े हो रहे है।
राज्यसभा में वाद-विवाद और हंगामें की स्थिती पैदा हो गयी
-सैलजा के बयान पर बीजेपी सांसदों ने इसे बीजेपी को बदनाम करने की साजिश करार दिया।
- बीजेपी के एक सांसद ने कहा- आप उस व्यक्ति का नाम बताइए जिसने ऐसा कहा। गुजरात में किसी भी मंदिर में ऐसा भेदभाव नहीं होता।
-इस पर सैलजा ने जवाब में कहा- में खुद जीती जागती गवाह हूँ। आप मेंरी बात पर यकीन क्यों नहीं कर रहे है।
- बीजेपी सांसदो के बयान पर कांग्रेस ने भारी हंगामा करते हुए कहा, ‘देखो कितनी अहसहिष्णुता बढ़ गई है, अब राज्यसभा में भी दलित को बोलने का अधिकार नहीं दिया जा रहा है।
बीजेपी मंत्री द्वारा जवाबी हमला
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्र सरकार में सुचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सैलजा के बयान पर आपत्ति जताई और कहा, 'सैलजा दलित है में समझता हूँ ये उनकी निजी पीड़ा है। लेकिन में भी उस मंदिर में कई बार गया हूँ, मुझसे तो कभी किसी ने जात-पात नहीं पुछी। इन बातों को लेकर गुजरात माॅडल पर टिप्पणी करना उचित नहीं हैं इस पर सैलजा ने जवाब दिया, आप इस पीड़ा को नहीं समझेगे क्योंकी आप दलीत जाति से संबंध नहीं रखते है।
आखिरकार संविधान पर चर्चा का कारण क्या है?
- देश में 66 साल पहले 26 नवंबर को संविधान की नींव रखी गयी, जो संविधान सभा से पास होने के पश्चात 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।
- मोदी सरकार द्वारा पहली बार 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में वकालत की गयी है।
- राज्यसभा में विंटर सेशन की शुरूआत होते ही दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा का कार्यक्रम 6-6 घंटे रखा गया है। शनिवार को लोकसभा में चर्चा का सेशन खत्म हो गया। लेकिन राज्यसभा में सोमवार का चर्चा का अंतिम दिन था।