नई दिल्ली: शीर्ष अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि SC/ST के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए प्रदेश सरकारें बाध्य नहीं हैं, क्योंकि यह मौलिक अधिकार नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि SC/ST के लोग सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा नहीं कर सकते, यह प्रदेश सरकारों की मंशा पर निर्भर करता है। अदालत के इस फैसले पर कांग्रेस पार्टी ने असहमति जाहिर की है।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक और दलित नेता उदित राज ने रविवार को इस मामले को लेकर दिल्ली के कांग्रेस हेडक्वार्टर में प्रेस वार्ता की। मुकुल वासनिक ने कहा कि हाल में शीर्ष अदालत ने एक फैसला दिया है। इस फैसले ने SC/ST को मिलने वाले आरक्षण को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा है कि, "शीर्ष अदालत के फैसले से दो बातें प्रमुखता से सामने आई हैं:-
1. SC/ST के लोगों की सरकारी पदों पर भर्ती कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
2. सरकारी पदों पर SC/ST के लोगों को नियुक्ति देने में कोई आरक्षण का बंदोबस्त करना सरकारों का कोई संवैधानिक कर्त्तव्य नहीं है।"
वासनिक ने आगे कहा कि, "हम अदालत के इस फैसले से सहमत नहीं हैं। संविधान के माधयम से जो अधिकार SC/ST के लोगों को प्राप्त हुए, उन पर आम सहमति रही है। किन्तु, दुर्भाग्यवश आज की सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों के बयान वंचित और प्रताड़ित लोगों के अधिकारों पर संकट खड़ा करते रहे हैं।
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