फूलपुर लोकसभा सीट: नेहरू की कर्मभूमि में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस
फूलपुर लोकसभा सीट: नेहरू की कर्मभूमि में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस
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प्रयागराज : आज़ाद भारत के प्रथम पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू की कर्मभूमि रही फूलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचने के लिए लड़ाई लड़़ रही है. देश के सियासी नक्शे में विशेष जगह रखने वाली उत्तरप्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट पर इस बार भी मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सपा-बसपा गठबंधन के बीच है और चुनावी मैदान में कांग्रेस कहीं दिखाई नहीं दे रही है.

उल्लेखनीय है कि फूलपुर लोकसभा सीट को कभी ‘‘वीआईपी सीट’’ के तौर पर देखा जाता था क्योंकि आजादी के बाद पहली दफा 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में पंडित जवाहरलाल नेहरू फूलपुर लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए थे. फिर वे 1957 और 1962 में भी इस लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. 2009 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पंडित कपिल मुनि करवरिया चुनाव जीते थे.

2004 में समाजवादी पार्टी (सपा) के अतीक अहमद और 1999 में सपा के ही धर्मराज पटेल ने इस सीट पर जीत का परचम फहराया था. बहरहाल, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते पहली बार भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर सीट से विजयी हुए . उनके इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में सपा के हिस्से में चली गई थी.

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