क्या सपना साकार होगा नमामि गंगे का ?
क्या सपना साकार होगा नमामि गंगे का ?
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गंगा जी हाँ एक पवित्र नदी जिसे भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी माना जाता है, जिसमे डुबकी लगाने के बाद इंसान के सारे पाप धुल जाते है इंसान पवित्र हो जाता है, ऐसा माना जाता है, वो नदी जिसके लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्लीन गंगा कैम्पेन (नमामि गंगे) भी चालू किया है, लेकिन आज हमारी ये पवित्र नदी बहुत ही दूषित हो गई है, और गंगा नदी की सफाई को लेकर जो भी प्रयास किये जा रहे है वो निरर्थक साबित हो रहे है, हमारी इस पवित्र नदी के सफाई और संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने अगले 5 साल के लिए बीस हजार करोड़ के बजट की मंजूरी दी है, लेकिन उसमे से 2015-16 की प्रथम तिमाही में गंगा की साफ-सफाई पर एक रुपया भी नहीं खर्च किया गया है। 

तो कैसे यह हमारी पवित्र नदी गंगा साफ़ होगी? गंगा की सफाई के लिए हमें ही अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे, जब तक हम खुद प्रयास नहीं करेंगे और सरकार के भरोसे बैठे रहेंगे तब तक गंगा फिर से पहले जैसी नहीं होगी, हमें यह ध्यान रखना होगा की हम अपने फायदे के लिए अपनी पवित्र नदी को गन्दा नहीं करे, सबसे ज्यादा गंगा नदी बड़े बड़े कारखानो से निकलने वाले दूषित पदार्थो की वजह से गन्दी होती है, और साथ ही लोगो द्वारा नदी में ही जानवरो को नहलाने से और कपडे धोने से कचरा फेकने से और मरने के बाद इंसान के शव को जलाने और दफ़नाने की जगह नदी में बहाने से भी नदी ख़राब होती है,

अभी कुछ समय पहले ही नदियों में शव मिलने की खबरे हमने देखी सुनी और पढ़ी थी, तो इन सब चीजो का भी हमारी पवित्र नदी गंगा पर प्रभाव पड़ता है, अगर हम इन चीजो को कम कर दे और जहाँ ये सब चीजे करना है वही पर करे तो हमारी पवित्र नदी गंगा खराब होने से बच सकती है, सरकार अपना काम करेगी लेकिन सबसे पहले हमें जागरूक होना पड़ेगा और हमें प्रयास करना होगा, गंगा की इतनी शुद्धीकरण क्षमता और श्रद्धा के बावजूद भी आज इसका प्रदूषण रोका नहीं जा सका है. 

हमारी यह पवित्र नदी गंगा भारत और बांग्लादेश में मिलाकर 2,510 किमी लम्बी यात्रा करते हुए उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के बहुत बड़े भू भाग को सींचती है, हमारी यह नदी देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, बल्कि लोगो की भावनात्मक आस्था का आधार भी है, गंगा नदी को लोग माँ के रूप में पूजते है, आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि भारत में बोतल बंद पानी बहुत दिन बाद में आया हैं, पहले तो लोग अपने साथ पानी की बोतल लेकर नहीं चलते थे, हर हिन्दू परिवार पहले बर्तन में और और कलश में पानी रखता था, गंगा का पानी जिसे हम गंगा जल कहते थे,    

आज ना गंगा नदी सुरक्षित है और ना इसकी सहायक नदियाँ, तो क्या है इन नदियों का भविष्य ? क्या हम कल अपनी आने वाली पीढ़ी को अगर ये नदियां जैसी आज है ऐसी ही रहेगी तो दिखा पाएंगे, और अगर हमारी आने वाली पीढ़ी ने इन नदियों को आज जिस स्थिति में उससे भी ज्यादा गन्दी स्थिति में देखा तो हम उनके सवालो के जवाब दे पाएंगे, तो हमें प्रयास करना होगा हमें हमारी पवित्र नदी को बचाना होगा, गंगा को साफ़ रखना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी हमारी इस पवित्र नदी को देखकर खुश हो जाये और कहे की हमारे पूर्वजो ने इस नदी को अब तक हमारे लिए संजो कर रखा है इसका ध्यान रखा है, तो वो भी इस पवित्र नदी को पूजने लग जायेंगे इस साफ़ सुथरी गंगा नदी को, तो आओ हम सब मिलकर प्रयास करे और हमारी गंगा नदी को फिर से पहले जैसी ही साफ सुथरी और पवित्र नदी बनाये.   

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