चीन को कड़ी टक्कर देने के लिए चीनी भाषा सीखेंगे जवान
चीन को कड़ी टक्कर देने के लिए चीनी भाषा सीखेंगे जवान
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नई दिल्ली. चीन से रिश्तों में आई खटास के बाद भारत कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता. इसलिए अब जवानों को बड़े स्तर पर चीनी भाषा सीखने का अभियान शुरू किया जाएगा. अब आपको ITBP के जवान  'नी हाओ' यानी नमस्कार और 'हुई कु' यानी पीछे हट जाओ जैसी चीनी भाषा को बोलते नज़र आएंगे. इस अभियान इसलिए चलाया जा रहा है ताकि बॉर्डर वह चीनी सैनियों की भाषा को भी समझ सकें.

इतना ही नहीं बॉर्डर पर तैनात इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों और अफसरों के लिए चीनी भाषा मेंडेरियन की बेसिक जानकारी रखना भी जरूरी होगा, ताकि डोकलाम विवाद जैसी स्थिति अगर फिर से बने तो चीनी सेना पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) की भाषा समझने में दिक्कत ना आए.

जानकारी के मुताबिक़ वर्तमान समय में 200 से 250 अधिकारी और जवान जेएनयू से चीनी भाषा सीख चुके हैं. इन सीखे हुए अधिकारी और जवानों को ITBP ने सीमा पर अलग-अलग जगहों पर तैनात किया हुआ है. सूत्र बताते हैं कि चीनी भाषा सीखने के पीछे ITBP का मकसद घुसपैठ के दौरान उनकी भाषा को सही ढंग से समझना है. एक उद्देश्य यह भी है कि चीन के सैनिक घुसपैठ के दौरान कई तरीके से बात करते हैं जिसको हमारे सैनिक नहीं समझ पाते.

इतना ही नहीं दुश्मनों से बचने के लिए भारत-चीन बॉर्डर पर 50 नई सीमा चौकियां बनाई जाएंगी. इस बात की जानकारी गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दी थी. सिंह ने ये भी बताया कि अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तेज रफ्तार से 25 सड़कें बनाई जा रही हैं जो चौकियों को बॉर्डर से जोड़ेंगी.

 

 

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