बचपन की दोस्ती ने आखिर मरने तक साथ नहीं छोड़ा
बचपन की दोस्ती ने आखिर मरने तक साथ नहीं छोड़ा
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जमशेदपुर : एक मां का कलेजा का टुकड़ा अचानक चल बसे इससे बड़ा दुख उस मां के जीवन का सबसे बड़ा दुख होता है। जगजीत की मां राजरानी कौर बेटे के शव से घंटो लिपटी रही। बेटे के गम में राजरानी के आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। रिश्तेदारों के लाख समझाने के बावजूद वह मां बार-बार बेशुध हो जा रही थी।

दरअसल जमशेदपुर के टल्को काॅलोनी में रहनेवाले जगजीत और उसके दोस्त की मौत गुरुवार को सड़क हादसे में हो गई थी। हमेशा दोस्त के साथ रहनेवाले जगजीत की अंतिम विदाई भी अपने दोस्त के ही साथ हुई। शुक्रवार की सुबह से ही लोग दोनों दोस्त को देखने के लिए पहुंचने लगे थे।

दोनों के घर पर उनके साथी रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोग जुटने लगे थे। सभी दोनों की मौत से काफी दुखी थे। सबकी जुबां पर बस एक ही बात थी। वह थी दोस्ती की और विश्वास नहीं होता कि अब प्रशांत और जगजीत नहीं रहे। जगजीत और प्रशांत का साथ में अंतिम संस्कार किया गया। दोनों पढ़ाई. लिखाई के अलावा खेलकूद में भी अव्वल थे।

 

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