ईमानदारी से जीने वाले नोट बंद करने की व्यवस्था से मुस्कुरा रहे हैं
ईमानदारी से जीने वाले नोट बंद करने की व्यवस्था से मुस्कुरा रहे हैं
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नई दिल्ली : देश में जो ईमानदारी का जीवन जी रहे थे उनके चेहरों पर मुस्कुराहट है। बैंकिंग व्यवस्था में इस तरह के निर्णय के लिए व्यवस्था है। जिसके तहत यह निर्देश या नियम गोपनीय रखा जाता है और इसे एकदम से लागू किया जाता है। इस नियम के तहत वैकल्पिक करेंसी अच्छी मात्रा में बैंकों में होना चाहिए। जिसके तहत नई करेंसी बैंकों में छप रही थी। यह गोपनीय था। यह बात केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कही।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली एक राष्ट्रीय समाचार चैनल को अपना साक्षात्कार दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने पूछे गए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हालांकि लोगों को स्वाभाविक तौर पर कुछ समय की तकलीफ हो सकती है लेकिन जिस तरह के आरोप लग रहे हैं वे बेबुनियाद हैं। जो काम आप कैश से करते थे उतनी राशि का चैक काट दीजिए।

देश में कृषि क्षेत्र के लोगों को टैक्स नहीं देना पड़ता है, जिन्हें टैक्स देना पड़ता है वे बैंक में जाकर करेंसी को बदल सकते हैं। देश में 85 से 86 प्रतिशत की मुद्रा 500 रूपए से 1000 रूपए तक थी। जो राशि जाली थी, ड्रग्स और अपराधों से जुड़ी थी, आतंकवाद में प्रयुक्त होती थी और काले धन के तौर पर अपनाई जाती थी वह इस करेेंसी के तहत अधिकांशतः आती थी। इस बदलाव से यह सब थम जाएगा।

इस व्यवस्था का लाभ है कि ब्लैक मनी से छुटकारा मिलता है। भ्रष्टाचार से छुटकारा मिलता है। वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा कि पीएम मोदी रूटीन की सरकार चलाने के लिए नहीं आए हैं। केंद्रीय मंत्री जेटली ने कहा कि व्यवस्था में बदलाव से कोई घबराया नहीं हैं इसके विरोध में जो तर्क दिए जा रहे हैं वह कालेधन को जस्टिफाय करने के लिए दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था का असर राजनीतिक दलों पर होगा। इससे राजनीतिक व्यवस्था स्वच्छ होगी।

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