केंद्र सरकार ने खारिज की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की मांग
केंद्र सरकार ने खारिज की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की मांग
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नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर देश में न्यायिक प्रकरणों की अधिकता और न्यायाधीशों की कमी को लेकर दिए गए अपने बयान से पलट गए हैं। उन्होंने कहा है कि इस तरह के प्रकरणों के लिए 40 हजार जजों की आवश्यकता के मामले में किसी तरह का कोई साइंटिफिक डाटा उपलब्ध नहीं है। दरअसल इस मामले में 8 मई को 1987 को लॉ कमीशन की रिपोर्ट को लेकर सिविल जज ऑफ इंडिया को लेकर यह कहा गया था कि न्यायपालिका को लंबित रखे गए करोड़ों प्रकरणों का सामना करने के लिए 40 हजार जजों की आवश्यकता है।

 मिली जानकारी के अनुसार इस तरह के मामले में कानून मंत्री वी सदानंद गौड़ा द्वारा कहा गया है कि कमीशन की रिपोर्ट को लेकर विशेषज्ञों की राय आवश्यक थी। इस मामले में कहा गया कि इस विषय में कोई भी साइंटिफिक डाटा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मोदी सरकार ने जलजों की नियुक्तियां बढ़ाने के विषय को खारिज कर दिया। उनका कहना था कि भारत में 1 मिलियन जनसंख्या पर करीब 10.5 जज नियुक्त हैं। ऐसे में इन जजों पर प्रकरणों का बोझ है।

इस मामले में कानून मंत्री वी सदानंद गौड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार जजों को अपॉइन्ट करने में जानबूझकर किसी भी तरह की देर नहीं कर रही है। उनका कहना था कि केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए विभिन्न नामों पर 6 दिनों में निर्णय लिया था। उनका कहना था कि केंद्र सरकार उच्च न्यायालय में 170 न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की चयन प्रक्रिया में तेजी जा रहा है।

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