![पेपर लेस होते - होते, हुआ केश लेस](https://media.newstracklive.com/uploads/editorial/Editordesk/Nov/27/big_thumb/narendra-modi_583abb6c86c72.jpg)
केंद्र सरकार ने जब डिजीटल इंडिया अभियान की शुरूआत की थी तब ही लगने लगा था कि जैसे देश में पेपरलेस काम प्रारंभ होने लगेगा भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ सरकार ने नोटबंदी का नियम लागू कर दिया। रातों रात 500 रूपए और 1000 रूपए के नोट कागज़ बन गए कहीं ये नोट राख के ढेर में बदल गए , थे तो कहीं कागज़ के तौर पर गंगा मैया में तैर रहे थे।
लोगों की लंबी कतारें बैंक्स में लगी थीं और लोग नोट जमाकर नए नोट निकाल रहे थे कुछ लोग तो पुराने नोट्स देकर नए नोट्स ले रहे थे। मगर लोगों को लंबी कतारों का सामना करने के चलते कुछ परेशान होना पड़ा। हालांकि सरकार ने पेपरलेस वर्क की तर्ज पर कैशलेस ट्रांजिक्शन का मंत्र दिया। कैशलेस ट्रांजिक्शन के इस कार्य ने क्रांतिकारी परिवर्तन लाया।
हालांकि पहले भी लोग माॅल्स में अपने द्वारा खरीदे गए सामान पर बिल चुकाते तो कार्ड देकर उसे स्वेप करवाते थे यह चलने कुछ ही लोगों तक सीमित था मगर अब जब लोगों की जेब में सीमित नोट्स हैं और लोग पुराने नोट्स को खपाने में लगे हैं ऐसे में हर किसी की जुबान पर कैशलेस ट्रांजिक्शन का नाम था। कैशलेस शब्द भले ही हर आदमी की जुबान पर न हो लेकिन हर कोई पेटीएम से परिचित हो गया।
लगभग हर स्मार्टफोनयूज़र ने अपने मोबाईल में पेटीएम और ऐसी ही दूसरी एप डाउनलोड कर लीं। नोटबंदी से वे किसान हैरान थे जो रबी सीज़न के लिए खाद - बीज की तैयारी कर रहे थे। मगर सरकार ने इन किसानों को मोबाईल पर पैमेंट और रूपयों के ट्रांजिक्शन की सुविधा दी। किसानों को राहत मिली है हालांकि अभी जमीनी स्तर पर इस योजना को समझने में कुछ समय लगेगा।
देश में एक ऐसी पीढ़ी मौजूद है जो कि पैदा होने के कुछ सालों में ही कम्प्युटर की शब्दावली से यूज़ टू हो जाती है और एक ऐसी पीढ़ी है जिसे कम्युटर का माउस हैंडल करने में काफी समय लग जाता है। इन दोनों ही पीढ़ियों के बीच तालमेल बैठाकर सरकार को कैशलेस काॅन्सेप्ट को सफल बनाना होगा।
सरकार के इस प्रयास की आलोचना कम हुई है और इसे सराहने वाले अधिक हैं इसलिए इस बात की संभावना है कि सरकार को कैशलेस का मंत्र हर किसी के कान में फूंकने में समय जरूर लगेगा लेकिन वह सफल जरूर होगी।