सोनिया गांधी के करीबी हर्ष मंदर के NGO की जांच करेगी CBI, विदेशी फंडिंग से जुड़ा है मामला
सोनिया गांधी के करीबी हर्ष मंदर के NGO की जांच करेगी CBI, विदेशी फंडिंग से जुड़ा है मामला
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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर (Harsh Mander) के NGO ‘अमन बिरादरी’ की CBI जाँच के आदेश जारी कर दिए हैं। आरोप है कि इस NGO ने FCRA कानून का उल्लंघन करते हुए विदेशी फंडिंग प्राप्त की थी। बता दें कि, हर्ष मंदर को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गाँधी का करीबी माना जाता है। UPA सरकार के दौरान वह सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में भी काफी समय तक काम कर चुके हैं।

दरअसल, विदेशी फंडिंग लेने के लिए किसी भी NGO को अनिवार्य रूप से FCRA के तहत गृह मंत्रालय में पंजीकरण कराना होता है। लेकिन, हर्ष मंदर के NGO ‘अमन बिरादरी’ के पास FCRA का क्लियरेंस नहीं था। हालाँकि, इसके बाद भी यह NGO विदेशों से जमकर पैसा लेता रहा। इसलिए, अब FCRA क्लियरेंस के बगियर ही विदेशों से आए धन की जाँच CBI करने वाली है। हर्ष मंदर के विवादित NGO अमन बिरादरी की वेबसाइट के मुताबिक, इस NGO का मकसद दुनिया को धर्मनिर्पेक्ष, शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण, और मानवीय बनाना है। इसका लक्ष्य गाँव और जिला स्तर पर संगठन स्थापित करना है। इसमें मुख्य रूप से विभिन्न पृष्ठभूमि और धर्म के युवाओं और महिलाएँ शामिल हैं। 

वेबसाइट में आगे बताया गया है कि इन संगठनों का मकसद विभिन्न धर्मों, जातियों और भाषाई समूहों के व्यक्तियों के बीच अधिक सहिष्णुता, बंधुत्व, सम्मान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना है। बता दें कि इससे पहले अक्टूबर 2022 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने FCRA कानूनों के कथित उल्लंघन के आरोप में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाले दो NGO राजीव गाँधी फाउंडेशन (RGF) और राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट (RGCT) का FCRA रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया था।

बता दें कि इससे पहले हर्ष मंदर का नाम नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में भी सामने आया था। उस समय हर्ष मंदर पर आरोप लगा था कि वह अपने NGO में रहने वाले बच्चों का इस्तेमाल CAA विरोधी आंदोलन में कर रहे हैं। इस मामले की जाँच करते हुए नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने दावा किया था कि हर्ष मंदर द्वारा चलाए जा रहे NGO से बच्चों को विरोध प्रदर्शनों में भीड़ बढ़ाने के लिए ले जाया जाता था। इसके साथ ही उस NGO पर मनी लॉन्ड्रिंग और सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना का आरोप भी लग चुका है।

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