कंडोम के हर पैकेट की अश्लीलता की जांच असम्भव
कंडोम के हर पैकेट की अश्लीलता की जांच असम्भव
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नई दिल्ली- सरकार ने कंडोम के हर पैकेट के साथ टीवी और प्रिंट मीडिया में प्रसारित होने वाले विज्ञापनों की अश्लीलता की जाँच को असम्भव बताया है.

रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने हर एक कंडोम के पैकेट और इसके विज्ञापन में अश्लीलता की जांच की असमर्थता को सुप्रीम कोर्ट में बताने की तैयारी कर ली है.रुढ़िवादी वर्ग की ओर से नैतिकता में गिरावट लाने वाले फोटोज और वीडियोज को सेंसर करने की मांग बढ़ रही है.

सरकारी सूत्रों के अनुसार कंडोम के प्रिंट और टीवी विज्ञापनों के लिए प्री- सेंसरशिप या प्री- सर्टीफिकेशन के लिए कोई नियम नहीं हैं. स्मरण रहे कि मद्रास हाईकोर्ट द्वारा 2008 में दिए आदेश “अश्लील तस्वीरों के साथ कंडोम की मार्केटिंग नहीं हो सकती “ के खिलाफ अपील पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.सीजे टीएस ठाकुर के नेतृत्व वाले बैंच की पृष्ठभूमि पर यह पहल की गई है.

मिली जानकारी के अनुसार अश्लीलता सम्बन्धित कानून के उल्लंघन पर तभी कार्रवाई हो सकती है जब इसके लिए शिकायत दर्ज होगी.ब्रिटिश जमाने में अश्लील सामग्री की बिक्री, वितरण आदि की अनुमति नहीं थी.जबकि इसके लिए अधिकतम सजा दो साल की कैद और दोहराने पर 5 साल की कैद थी.

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