लंदन: ब्रिटेन के किसान अब गाय के गोबर से बिजली उत्पन्न कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं। ये किसान गाय के गोबर का उपयोग कर के AA साइज की ‘पैटरी (बैटरी)’ बना रहे हैं। इन ‘Patteries’ को रिचार्ज भी किया जा सकता है। अब माना जा रहा है कि ये रिचार्जेबल ‘पैटरीज’ देश की रिन्यूवेबल एनर्जी की दिशा में एक अहम योगदान दे सकते हैं। रिसर्च में सामने आया है कि 1 किलो गाय के गोबर से 3.75 kWh (किलोवॉट ऑवर) बिजली उत्पन्न की जा सकती है।
A group of British farmers are turning cow poo into cow POWER – in the form of AA-size “patteries”.
— Pubity Latest (@pubitylatest) November 20, 2021
The rechargeable “patteries” could be one part of Britain’s renewable energy solution, as 1kg of cow poo can produce 3.75 kwh of electricity. pic.twitter.com/WHuBlgx5G4
उदाहरण के तौर पर, एक किलो गाय के गोबर से बनाई गई बिजली द्वारा एक वैक्यूम क्लीनर को 5 घंटे तक चलाया सकता है, या फिर 3.5 घंटे तक आप आयरन से अपने कपड़े इस्त्री कर सकते हैं। इन बैटरियों को ‘Arla’ नाम की डेयरी कोऑपरेटिव संस्था ने बनाया है। इस काम में ‘GP बैटरीज’ नाम की बैटरी कंपनी ने किसानों की सहायता की है। दोनों कंपनियों ने बताया है कि एक गाय से मिलने वाले गोबर से 1 वर्ष तक 3 घरों को बिजली प्रदान की जा सकती है। यदि इस हिसाब से देखें तो 4.6 लाख गायों के गोबर को एकत्रित किया जाए और ऊर्जा के उत्पादन में उनका इस्तेमाल किया जाए तो इससे ब्रिटेन के 12 लाख घरों में पूरे साल बिजली की कमी नहीं होगी। विशेषज्ञ इसे ‘विश्वसनीय और सुसंगत’ स्रोत बता रहे हैं, जिससे बिजली उत्पन्न हो सकती है। अकेले ‘Arla’ कंपनी की गायों से प्रति वर्ष 10 लाख टन गोबर मिलता है। ‘Anaerobic Digestion (अवायवीय पाचन)’ की प्रक्रिया द्वारा गोबर से बिजली बनाई जा रही है।
इस प्रक्रिया के अनुसार, गोबर को बायोगैस और बायो-फर्टिलाइजर में तोड़ दिया जाता है। ब्रिटेन के किसानों का कहना है कि ये एक इनोवेटिव प्रयास है, जो प्रचुर मात्रा में मौजूद गोबर का सही इस्तेमाल करके ब्रिटेन की एक बड़ी समस्या का निराकरण कर सकता है। उनका कहना है कि अपने खेतों और पूरे एस्टेट में वो इसी ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसकी क्षमता इससे कहीं अधिक है। यहाँ तक कि गोबर से ऊर्जा बनाने के बाद जो वेस्ट बचता है, उसका इस्तेमाल खेतों में खाद के तौर पर किया जाता है।
इस प्रक्रिया के मुताबिक, जब एक बार बायोगैस को निकाल लिया जाता है, तो इसे ‘कंबाइंड हीट एंड पॉवर (CHP)’ यूनिट में ले जाया जाता है, जहाँ गोबर से ऊर्जा, अर्थात बिजली बनाई जाती है। बायोगैस और बायो-फर्टिलाइजर में गोबर को तोड़ने की प्रक्रिया को ऑक्सीजन की गैर-मौजूदगी में किया जाता है। यह प्रक्रिया एक ‘Anaerobic Digestor’ नाम के सीलबंद ऑक्सीजन रहित टैंक में की जाती है। इसके एन्ड प्रोडक्ट के रूप में बायोगैस निकलता है। ये न्यूट्रिएंट्स में बहुत रिच होता है। साथ ही एमिशन को भी कम करता है। ये एक प्राकृतिक खाद भी है, जो खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में कई गुना इजाफा कर देता है। इस प्रकार सस्टेनेबल फार्मिंग होता है, वो भी अधिक एमिशन के बगैर। बता दें कि ‘Arla’ के पास अभी 4.60 लाख गायें हैं। हालाँकि, अभी छोटी तादाद में किसान ही गाय के गोबर से बिजली उत्पादन की प्रक्रिया में लगे हुए हैं। मगर जानकारों का कहना है कि, रिन्यूवेबल एनर्जी की दिशा में ये गेम चेंजर साबित हो सकता है।
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