यहाँ कार में नहीं बल्कि बाइक पर होती है दुल्हन की विदाई
यहाँ कार में नहीं बल्कि बाइक पर होती है दुल्हन की विदाई
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आपने भी आज तक कई सारे ऐसे किस्से सुने होंगे जिसके बारे में सुनकर कभी-कभी यकीन नहीं होता है लेकिन फिर भी ना चाहते हुए भी हमें उस घटना पर यकीन करना ही पड़ता हैं. हम आपको आज ऐसी ही अनोखी परंपरा के बारे में बताने जा रहे है जो बिहार में निभाई जाती हैं.

यहाँ के सहरसा मानसी रेलखंड के सिमरी बख्तियारपुर रेल परिसर से आए दिन दुल्हन को बाइक से विदा कर घर ले जाया जाता है. यहाँ पर लोग शौक से बाइक की सवारी नहीं करते हैं, बल्कि यह इनकी मजबुरी है. दरअसल यहाँ एक ऐसा गांव है जहां तक चार पहिया वाहन का पहुंचना नामुमकिन ही नहीं असंभव है. हर साल बाढ़ आने के कारण इस क्षेत्र के लोगों को यातायात, बिजली के लिए कष्ट झेलना पड़ता है.

आपको बता दें बिहार में एक दौर था जब टायर गाड़ी पर ओहार लगाकर दुल्हनों की विदागिरी अर्थात विदाई की जाती थी. फिर इसके बाद ऐसा भी दौर आया जब मोटर गाड़ियों का परिचालन होने लगा. वैसे कई बार बाढ‍़ प्रभावति क्षेत्रों में तो कई बार ट्रैक्टर पर सवार होकर बारातियों को जाते हुए देखा गया है. फिर धीरे-धीरे जमाना बदला और बोलेरो-स्कॉपियों का युग आया. लोगों के अंदर फिर एसी गांड़ियों का क्रेज बढ़ा और दुल्हन को भी कार में विदा किया जाने लगा लेकिन इस गांव में आज तक दुल्हन मोटर बाइक पर ही विदा होकर ससुराल जाती हैं.

शापित माना जाता है इस गांव को, जहां हर बच्चा होता है अजीब

खूबसूरत और जवान होने के बाद भी यहां लड़कियों को नहीं मिल रहे लड़के

यहां आज भी चल रहे हैं बंद हो चुके 1000 और 500 के नोट

 

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