मानहानि केस: नवाब मालिक की मुश्किलें बढ़ीं, ध्यानदेव वानखेड़े की याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
मानहानि केस: नवाब मालिक की मुश्किलें बढ़ीं, ध्यानदेव वानखेड़े की याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
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मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को NCB अधिकारी समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े द्वारा दाखिल मानहानि के मुक़दमे की अंतरिम याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. वानखेड़े ने महाराष्ट्र कैबिनेट के मंत्री नवाब मलिक द्वारा उनके और उनके परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया पर कुछ भी अपमानजनक पोस्ट करने से रोकने की मांग की है.

वानखेड़े के वकील अरशद शेख ने कोर्ट के सामने कई डॉक्यूमेंट पेश किए, ताकि यह साबित किया जा सके कि ध्यानदेव वानखेड़े हिंदू हैं, मुस्लिम नहीं, जैसा कि नवाब मलिक ने दावा किया था. समीर वानखेड़े के बर्थ सर्टिफिकेट पर मलिक के ट्वीट का उल्लेख करते हुए, शेख ने कहा कि, 'मेरी (समीर की) प्रतिष्ठा धूमिल करने से पहले क्या उन्हें यह नहीं दिखाना चाहिए कि उन्होंने एक फोटोकॉपी (जन्म प्रमाण पत्र) को किस तरह सत्यापित किया? बर्थ सर्टिफिकेट सही होना चाहिए, आप जानते थे कि दाऊद का नाम उसी डाक्यूमेंट्स के कोने में ध्यानदेव के तौर पर ठीक किया गया था. सभी दस्तावेजों में से आप केवल एक ही दस्तावेज लेते हैं. मुझे आश्चर्य इस बात का है कि हर जगह नाम अलग-अलग लिखावट में लिखा है, किन्तु केवल समीर बड़े अक्षरों में लिखा है.'

न्यायमूर्ति जामदार ने मलिक की तरफ से पेश हुए वकील अतुल दामले से जन्म प्रमाण पत्र में बदलाव के संबंध में पूछा कि 'समीर' और 'मुस्लिम' की लिखावट अलग-अलग क्यों है? उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यदि कोई सार्वजनिक दस्तावेज है, तो ठीक है, किन्तु उसका वेरिफिकेशन होना चाहिए, नहीं तो यह निजता का उल्लंघन है. न्यायमूर्ति जामदार ने यह भी कहा कि, 'आप विधानसभा के सदस्य, कैबिनेट मंत्री और एक सियासी दल के प्रवक्ता हैं. आपको तो अधिक ध्यान रखना चाहिए.' मामले में बहस करते हुए दामले ने समीर वानखेड़े के निकाहनामा और बर्थ सर्टिफिकेट के बारे में बताया कि डाक्यूमेंट्स में प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि वादी का नाम दाऊद है, और मैंने इसमें उचित सावधानी बरती है.'

वकील शेख ने बहस करते हुए समीर वानखेड़े की फोटो का भी उल्लेख किया, जो मलिक के ट्वीट के अनुसार दुबई की थी. शेख ने बताया कि फोटो एयरपोर्ट लाउंज की थी. उन्होंने कहा कि 'यदि मैं दुबई गया, तो क्या यहां पासपोर्ट अधिकारियों के पास मेरी यात्रा का ब्यौरा नहीं होगा. क्या आपको वीजा जारी करने वाले अधिकारियों से कोई डिटेल मिली? उन्होंने वेरिफिकेशन नहीं किया. मेरी यात्रा दुबई नहीं मालदीव की थी.'
बता दें कि ध्यानदेव वानखेड़े ने शुक्रवार को एक हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें उन्होंने डाक्यूमेंट्स की एक सूची पेश की थी, जिसमें 2008 का जाति प्रमाण पत्र शामिल है, ताकि यह साबित हो सके कि वह महार समुदाय से आते हैं और ये उनके बेटे (समीर) और बेटी (यास्मीन) के डॉक्यूमेंट हैं. इसमें ध्यानदेव वानखेड़े की पत्नी का एक शपथपत्र भी शामिल है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने शादी के बाद हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था. तमाम दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. बता दें कि समीर वानखेड़े के पिता ध्‍यानदेव काचरुजी वानखेड़े ने नवाब मलिक और उनकी पार्टी के सदस्‍यों पर 1.25 करोड़ का मानहानि का मुकदमा ठोंका है

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