इसलिए रक्दान होता हैं महादान
इसलिए रक्दान होता हैं महादान
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रक्तदान को महादान माना गया है क्योंकि हमारे खून से किसी की ज़िन्दगी बच सकती है तो फिर हम ऐसा करने में क्यों पीछे रह जाते हैं। जाहिर सी बात है कि यह सब इसलिए होता है क्योंकि इंसान सुनी-सुनाई बातों पर बहुत ज्यादा गौर करता है। बहुत से ऐसे लोग है जो अपनी जिंदगी में 30 से 40 बार रक्तदान कर चुके हैं और एकदम फिट हैं।उनके चहरे पर यह संतुष्टि आसानी से दिखाई देती है कि उनके द्वारा दिया गया खून न जाने कितनी जिंदगियों के काम आया। इंसान होकर इंसान के काम न आये तो फिर इंसानियत कहाँ रह जायेगी।

अगर आप के दिमाग में रक्तदान को लेकर कोई शंशय या धारणा है तो आज हम उसे दूर कर देते हैं। रक्तदान का मतलब ये नहीं है कि आपके शरीर में खून की कमी हो जाएगी, बल्कि कुछ ही दिनों में उतना ब्लड आपके शरीर में दोबारा बन जाता है। किसी भी व्यक्ति के शरीर से एक बार में 471एमएल से ज्यादा खून नहीं लिया जा सकता इसलिए रक्तदान से घबराने की कोई जरुरत नहीं है। अक्सर ऐसा सुना जाता है कि रक्तदान के बाद शरीर कमजोर हो जाता है या फिर चक्कर आने लगते हैं. यह सब गलत बातें है जो कुछ लोगों द्वारा फैलाई जाती है।

असल में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। ना तो आपमें खून की कमी होती है और ना ही हीमोग्लोबिन में किसी तरह की कमी आती है. कोई भी स्वस्थ इंसान रक्तदान कर सकता है फिर चाहे वो महिला हो या फिर पुरुष। एक बार ब्लड डोनेट करने के बाद पुरुष 3 महीने और महिला चार महीने के बाद फिर से रक्तदान कर सकते हैं. खून देने के तुरंत बाद ही चलना फिरना नहीं चाहिए बल्कि कुछ देर लेटे रहना चाहिए ताकि ब्लड सर्कुलेशन फिर से सामान्य हो जाए। कोशिश करें की ब्लड डोनेट के 12 घण्टे तक कुछ हैवी चीजे लिफ्ट न करें। उस दिन हेल्दी डाइट लीजिये और जूस फ्रूट आदि का अच्छे से सेवन करें। यकीन मानिये आपको एहसास भी नहीं होगा कि आपने कुछ घण्टे पहले खून दिया था। अगली बार जब भी किसी ब्लड डोनेशन कैंप के बारे में सुने या फिर किसी जरूरतमंद को खून की जरुरत पड़ जाए तो आपको उनकी मदद करने में जरा भी नहीं हिचकिचाना चाहिए।

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