भाजपा और कांग्रेस ने की बिजली कंपनियों की CBI जांच की मांग
भाजपा और कांग्रेस ने की बिजली कंपनियों की CBI जांच की मांग
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कैग द्वारा दी गई एक रिपोर्ट को लेकर इन दिनों सियासत तेज हो गई है. और बात इतनी बड़ चुकी है कि भाजपा और कांग्रेस ने इसकी सीबीआइ जांच कराने की मांग की है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय का कहना है कि कैग की रिपोर्ट से पूरी तरह साफ़ हो जाता है कि बिजली कंपनियां पिछले 13 वर्षो से दिल्ली की जनता को लूट रही हैं. इसके साथ ही दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल पर विशेषकर पूर्व बिजली मंत्री हारून यूसुफ और अरविंदर सिंह लवली पर भी सवाल खड़े होते हैं. साथ ही इस मामले में आप सरकार भी शामिल है.

आगे उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की डिस्कॉम में 49 फीसदी की साझेदारी है. साथ ही इन कंपनियों के साथ ही डीईआरसी की भूमिका भी संदिग्ध है. इसलिए इस मामले की सीबीआइ जांच बेहद ही जरूरी है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली सरकार तुरंत विधानसभा के सामने रिपोर्ट को रखकर इस पर चर्चा कराए. वही बिजली कंपनियों के काम की सीबीआइ से जांच कराने की मांग कांग्रेस ने भी की है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया है कि इस पूरे मामले की सीबीआइ जांच होनी जरुरी है.

वही बिजली कंपनियों के खिलाफ रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने भी कार्रवाई की मांग की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राजधानी में बिजली वितरण करने वाली तीनों कंपनियां बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल), बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) तथा टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) के द्वारा उपभोक्ताओं से जुड़े हुए आकड़ों में छेड़छाड़ की गई है. और डिस्कॉम ने बिक्री के ब्योरे को गलत पेश किया है. इसी तरह से इन तीनों कंपनियों ने महंगी बिजली की खरीद की और अपने ही समूह की कंपनियों को फायदा पहुंचाया है. वही डिस्कॉम ने अपनी लागत को बढ़ाकर पेश किया है.

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