चंडीगढ़ : केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव पर केंद्र सरकार का विचार पूर्ण रूप से स्पष्ट है. मोदी सरकार केवल संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों की राह देख रही है. समिति की सभी सिफारिशें किसानो के हितो के अनुसार होगी और समिति की समस्त सिफारिशों को स्वीकार किया जावेगा.
उन्होंने शुक्रवार को बताया कि निजी क्षेत्र के लिए एक इंच की भूमि भी अधिग्रहित नहीं की जावेगी. लेकिन अधिग्रहण ढांचागत विकास की आवश्यकता है. बीरेंद्र सिंह ने जानकारी दी गत 17 महीने में नमो सरकार ने पंजाब और उड़ीसा की 200 से 300 एकड़ जमीन के अलावा कोई अतिरिक्त अधिग्रहण नहीं किया है.
उन्होंने बताया कि सिंतबर 2013 में यूपीए सरकार द्वारा बनाया गया भूमि अधिग्रहण कानून तर्क पर आधारित नहीं था. इसी वजह से फरवरी 2014 में कानून को परिवर्तित करने की आश्यकता समझी गयी. कांग्रेस शासित प्रदेशों समेत 18 राज्य इस बात के सहयोगी थे कि संशोधन के बिना विकास परियोजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जावेगा. बीरेंद्र सिंह के अनुसार 13 केंद्रीय अधिनियमाें पर सितंबर 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून लागू नहीं हो सकता था.
इन अधिनियमाें को भूमि अधिग्रहण कानून के अंतर्गत लाने हेतु 31 दिसंबर 2014 को संशोधन अध्यादेश लाया गया. अभी तक तीन अध्यादेश लाये जा चुके है. बिरेन्द्र सिंह ने बताया कि कांग्रेस का लक्ष्य मात्र विरोध के लिए विरोध करना है. उसे संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशें को स्वीकार करना चाहिए. समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने पर उनकी साख में कोई कमी नहीं अायेगी. उन्होंने कहा कि किसान हित के सभी संशोधनों और सुझावों का क्रियान्वयन किया जावेगा.
सात वर्ष बाद सबके पास होगा आवास
बिरेन्द्र सिंह ने कहा कि अगले सात वर्षो में देश का कोई व्यक्ति बिना आवास के नहीं रहेगा. मोदी सरकार सबको आवास दिलाने के अपने वादे को पूरा करने के लिए पांच करोड़ नवीन आवास का निर्माण करवाएगी. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने करीब तीन करोड़ नवीन अावास निर्माण का जिम्मा लिया है. केंद्रीय शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय ने दो करोड़ नवीन आवास बनाने का निर्णय लिया है.