खाने-पीने के लिए पैसे नहीं फिर भी मजदूरों से वसूला गया रेल का किराया
खाने-पीने के लिए पैसे नहीं फिर भी मजदूरों से वसूला गया रेल का किराया
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कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाया गया है. वहीं इस दौरान एक महीने से ज्यादा वक्त से महाराष्ट्र में फंसे मध्यप्रदेश के मजदूरों के साथ नासिक में भी अमानवीयता हुई है. रोजाना खाने-पीने के सामान के लिए तरस रहे कई मजदूरों से नासिक से भोपाल तक के लिए 315 रुपये का किराया वसूला गया. यह किराया नासिक रेलवे स्टेशन पर लिया गया है. शनिवार सुबह मिसरोद रेलवे स्टेशन पर पहुंचे मजदूरों ने इस बात की शिकायत की है. अपने गांव जाने के लिए बस में बैठने के बाद मजदूरों ने यह टिकट दिखाया है. टिकट 305 रुपये का था और मजदूरों का दावा है कि उनसे 315 रुपये लिए गए. हालांकि पश्चिम मध्य रेलवे इस संबंध में कोई भी जानकारी होने से साफ इंकार कर रहा है.

आपको बता दें की पश्चिम मध्य रेलवे की सीपीआरओ प्रियंका दीक्षित ने कहा है कि ट्रेन महाराष्ट्र के नासिक से चली थी. रेलवे की स्पष्ट गाइडलाइन है कि यात्रियों से पैसा नहीं लेना है. जो टिकट यात्रियों को दी गई है, हो सकता है कि वह स्थानीय प्रशासन द्वारा दी गई हो, क्योंकि हम प्रशासन को टिकट उपलब्ध करवा रहे हैं. गौरतलब है कि प्रवासी कामगारों व छात्रों के लिए शुक्रवार से चलाई गई विशेष ट्रेन का किराया राज्य सरकार को वहन करना था. यह किराया रेलवे राज्य सरकार से वसूलेगा.

हालांकि महाराष्ट्र के मुंबई, नासिक सहित अन्य जिलों से करीब 342 मजदूरों को लेकर विशेष ट्रेन राजधानी के मिसरोद रेलवे स्टेशन पर सुबह-सुबह पहुंची थी. यहां मजदूरों के लिए खाने-पीने व उन्हें उनके गृह जिले भेजने के लिए बस उपलब्ध कराई गई थी.

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