यूं तो सृष्टि के कण-कण में शिव जी का निवास माना जाता है। भगवान शिव सभी को आशीर्वाद देते हैं। भगवान शिव का पूजन कई स्वरूपों में किया जाता है। इन स्वरूपों में शिवलिंग स्वरूप और अतिप्राचीन मूर्तियां प्रमुख हैं। इन मंदिरों में एक मंदिर ऐसा है जिसकी स्थापना पांडवों ने की थी जहां राजा भोज ने भी आराधना की थी। इस मंदिर को भोजेश्वर के नाम से जाना जाता है। मंदिर मध्यप्रदेश की राजधानी भोजपाल में है। दरअसल भोपाल से करीब 32 किलोमीटर दूरी पर यह मंदिर है। यहां पर बेहद आसानी से जाया जा सकता है।
यहां जाने के लिए भोपाल से होशंगाबाद की ओर जाकर भी यात्रा की जा सकती है। यहां से नेशनल हाईवे क्रमांक 7 या फिर 11 भी आ सकता है। यह क्षेत्र एक पर्यटक स्थल भी है। माना जाता है कि यहां पर भीम घुटनों के बल बैठा करते थे और पुष्प चढ़ाते थे। इतना ही नहीं यह मान्यता है कि यहां पर कुंती ने अपने पुत्र कर्ण का त्याग किया था। मंदिर का निर्माण राजा भोज द्वारा किया जाना भी बताया जाता है।
यहां पर बड़े पैमाने पर श्रद्धालु आते हैं और इस अति प्राचीन शिवलिंग के दर्शन कर स्वयं को धन्य मानते हैं। मंदिर की पश्चिम दिशा में सीढ़ियां हैं तो दूसरी ओर मंदिर में 4 बड़े स्तंभ स्थापित हैं जो कि छत के आधार हैं। यहां पर यक्षों की मूर्ति स्थापित होने से यह दर्शाया गया है कि देवता, यक्ष, किन्नर, नृत्यांगनाऐं, नर्तक, मानव आदि यहां पर भगवान शिव की आराधना करते थे।