फायदे परम्पराओ के
फायदे परम्पराओ के
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कई ऐसी भारतीय परम्पराएं, जो न सिर्फ हमारे गौरव की निशानी हैं बल्कि जीवन के लिए स्वास्थ्यवर्धक भी हैं, बस जरूरत है तो इनके सही अर्थ को विस्तार से जानने और इनके पीछे के तर्क को समझने की.

1-चांदी बहुमूल्य गुणों वाली धातु है, जिसमें जर्मीसाइडल, एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. ये गुण भोजन को विषाणुओं से मुक्त करते हैं. कई लोग मानते हैं कि भोजन के लिये चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल स्टेटस सिंबल था, शायद ऐसा भी हो, लेकिन इनके उपयोग का वास्तविक उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ खाने को विषाणु मुक्त रखना होता है. यही वजह है कि बच्चे की परवरिश के दौरान दूध में चांदी का सिक्का डालकर उसे दूध पिलाया जाता है ताकि चांदी के गुण उसके शरीर में चले जाएं. 

2-पीयरसिंग करना न केवन स्त्रीत्व को परिभाषित करता है बल्कि यह एक प्रकार की एक्यूपंक्चर प्रैक्टिस भी है, जिससे स्त्री का शरीर स्वस्थ रहता था. विशेषज्ञों का भी मानना है कि नाक और कान का छेदन करना, धार्मिक महत्व को दर्शाने के अलावा शरीर को भी अप्रत्यक्ष रूप से स्वस्थ रखता है.

3-गांवों से लेकर शहर तक हर जगह किसी भी पर्व या त्यौहार आदि पर हिंदू घरों के बाहर या आंगन में रंगोली जरूर बनाई जाती है. पहले के समय में रंगोली चावल के आटे से बनाई जाती थी, इसके पीछ तथ्य यह थी कि चावल के आटे से रंगोली बनाने से घरों के अंदर कीड़े-मकोड़े नहीं आते थे और घर में स्वच्छता रहती थी. 

4-भारत में हर किसी न किसी देवी-देवता का होता है और हर दिन का एक अलग धार्मिक महत्व होता है. साथ ही भारतीय संस्कृति में थालीभर भोजन करने की परम्परा इसलिए है कि लोग सभी प्रकार के पौष्टिक आहार मिल सकें. वहीं महिने में कुछ दिन उपवास के लिये भी हैं ताकि शरीर में पैदा होने वाले असंतुलन और विषाक्त पदार्थो को दूर किया जा सके.

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