शरीर धोने से धुलता है मन - रिसर्च
शरीर धोने से धुलता है मन - रिसर्च
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शरीर को स्वस्थ और साफ़ रखने के लिए हम रोज नहाते हैं और हाथों पर लगे कीटाणुओं को खत्म करने के लिए दिन में कई बार हाथ भी धोते हैं. अगर हम आपसे कहें कि नहाने और हाथ धोने से आप अपनी बुरी भावनाओं को भी धो देते हैं तो शायद आप इस बात को नहीं मानेंगे। लेकिन जनाब शोध में तो कुछ ऐसी ही बात सामने आयी है. मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि नहाने और हाथ धोने से लोगों को पछतावा, उदासी या संदेह जैसी बुरी भावनाओं से छुटकारा मिल सकता है. शोधकर्ताओं के अनुसार खुद को साफ़ करने के बारे में सोचकर, लोग खुद को अनैतिकता, भाग्यशाली या दुर्भाग्यपूर्ण भावनाओं या किसी निर्णय के बारे में संदेह जैसी फीलिंग्स से दूर कर सकते हैं.

शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जब लोगों को खराब गंध या अस्तव्यस्त कमरों में बिठाया गया तो ऐसे लोगों ने दूसरों को काफी कठोरता और अनैतिक तरीकें से आँका बनिस्पत साफ़ कमरे के. एक अलग अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया है कि लोग किसी एंटीसेप्टिक हैण्ड क्लीनर का इस्तेमाल करते हुए अपने द्वारा किये गए कुछ अनैतिक काम के बारे में सोचते हैं तो उन्हें इस बारे में कम पछतावा होता है.

शारीरिक सफाई भी लोगों को दुर्भाग्य की भावनाओं को बहाने में मदद कर सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन जुआरियों ने साबुन से हाथ धोए थे उनका यह मानना था कि उन्होंने अपने दुर्भाग्य को भी धो दिया है. और इसके बाद उन्होंने बड़ा जुआ खेला। शोधकताओं का मानना है कि सफाई पहले के अनुभव के अवशिष्ट प्रभाव को हटा देती है।

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