काफूर होता बारिश का खुशनुमा अहसास
काफूर होता बारिश का खुशनुमा अहसास
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बरसात ऐसा मौसम जब हर कहीं वातावरण में खुशनुमा अहसास घुल जाता है। बारिश के इस मौसम में युवाओं को भीगने की चाहत रहती है तो इस मौसम में शादीशुदा आदमी की मुश्किलें बढ़ जाती है। नया वाहन लेकर जब व्यक्ति सड़कों से निकलता है तो उसे सूझ ही नहीं पड़ता कि वाहन बचाए या खुद को बचाए। जिस पर हैलमेट पहनने की मजबूरी उसे और लाचार कर देती है। गड्ढों से जैसे तैसे वह आगे बढ़ता है कि कीचड़ की बौछार उसे परेशान कर देती है। अब गड्ढों में बचबचाकर वाहन चलाना काफी मुश्किल हो जाता है। यदि उसका वाहन सही साट स्थिति में घर तक पहुंच जाता है तो वह बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर गीत गुनगुनाने लगता है।

बीवी के साथ जब वह गरमा गरम भजिये खाकर टीवी देखने का आनंद मनाता है तो केबल की खरखराहट उसे परेशान कर देती है। और जहां डिश लगी होती है वहां भी टीवी सारा मज़ा किरकिरा कर देती है। उसकी पत्नी सीरियल की हिरोईन का नेकलेस देखकर झट से वैसे ही नेकलेस की फरमाईश कर देती है। अब पति परेशान, लेकिन समाधान ढूंढने के लिए वह न्यूज़ चैनल लगा लेता है, यहां रिमोट का नंबर मिलाने पर पति की चिंता और बढ़ जाती है,

दरअसल जुलाई माह में स्कूलों के एडमिशन के लिए मोटी फीस और किताब - काॅपियों के भारी खर्च की न्यूज़ देखकर वह फिर परेशान हो उठता है। अब उसे न तो मौसम का वह खुशनुमा अहसास अच्छा लगता है और न ही सौंधी - सौंधी खुशबू के साथ महक रहे भजियों का स्वाद रास आता है।

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