स्कूल में पीने के पानी के लिए तरसते थे बाबा साहेब, बड़े होकर बने मिसाल
स्कूल में पीने के पानी के लिए तरसते थे बाबा साहेब, बड़े होकर बने मिसाल
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डॉ भीमराव अम्बेडकर को बाबा साहेब नाम से भी जाना जाता है. अम्बेडकर जी उनमें से एक है, जिन्होंने भारत के सविधान को बनाने में अपना बड़ा योगदान दिया था. अम्बेडकर जी एक जाने माने राजनेता व प्रख्यात विधिवेत्ता थे. इन्होंने देश में से छुआ छूत, जातिवाद को मिटाने के लिए बहुत से आन्दोलन किए.  उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों के नाम कर दिया था, दलित व पिछड़ी जाति के हक के लिए इन्होंने कड़ी मेहनत की. आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरु के कैबिनेट में पहली बार अम्बेडकर जी को लॉ मिनिस्टर बनाया गया था. अपने अच्छे काम व देश के लिए बहुत कुछ करने के लिए अम्बेडकर जी को 1990 में देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया.

उनका आरंभिक जीवन कुछ इस प्रकार से रहा. भीमराव रामजी अम्बेडकर (1891-1956) का जन्म एक महार दलित परिवार में हुआ था। अम्बेडकर जी अपने माँ बाप की 14 वी संतान थे. उनके पिता इंडियन आर्मी में सूबेदार थे, व उनकी पोस्टिंग इंदौर के पास महू में थी, यही अम्बेडकर जी का जन्म हुआ. 1894 में रिटायरमेंट के बाद उनका पूरा परिवार महाराष्ट्र के सतारा में शिफ्ट हो गया. कुछ दिनों के बाद उनकी माँ चल बसी, जिसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली, और उसके बाद बॉम्बे शिफ्ट हो गए. जिसके बाद अम्बेडकर जी की पढाई यही बॉम्बे में शुरू हुई, 1906 में 15 साल की उम्र में उनका विवाह 9 साल की रमाबाई से हो गया. इसके बाद 1908 में उन्होंने 12 वी की परीक्षा पास की.

बता दें की छुआ छूत के बारे में अम्बेडकर जी ने बचपन से देखा था, वे हिन्दू मेहर कास्ट के थे, जिन्हें नीचा समझा जाता था व ऊँची कास्ट के लोग इन्हें छूना भी पाप समझते थे. इसी वजह से अम्बेडकर जी को समाज में कई जगह पर भेदभाव का शिकार होना पड़ा. इस भेदभाव व निरादर का शिकार, अम्बेडकर जी को आर्मी स्कूल में भी होना पड़ा जहाँ वे पढ़ा करते थे, उनकी कास्ट के बच्चों को क्लास के अंदर तक बैठने नहीं दिया जाता था. टीचर तक उन पर ध्यान नहीं देते थे. यहाँ उनको पानी तक छूने नहीं दिया जाता था, यहाँ तक की स्कूल का चपरासी उनको उपर से पानी डालकर देता था, जिस दिन चपरासी नहीं आता था, उस दिन उन लोगों को पानी तक नहीं मिलता था.

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