लखनऊः दशकों से चले आ रहे अयोध्या मामले को लेकर मुस्लिम बुद्धिजीवीयों ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि इस मसले का हल अदालत के बाहर होना चाहिए। इससे दोनों पक्षों के बीच विश्वास बढ़ेगा। बुद्धिजीवियों ने मुस्लिम पक्ष सेअपील करते हुए कहा कि अगर वह सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीत भी जाते हैं तो उन्हें यह जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए। मुस्लिम बुद्धिजीवी इंडियन मुस्लिम फॉर पीस संस्था के बैनर तले राजधानी लखनऊ में एकत्र हुए। इनमें डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक अफसर, शिक्षाविद्, रिटायर्ड जज शामिल थे। बुद्धिजीवियों ने संकल्प पत्र पास कर उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड व ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पास भेजने का फैसला लिया है।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और एएमयू के पूर्व कुलपति जमीरुद्दीन शाह ने बताया कि लड़ाई से केवल नुकसान होता है, फायदा नहीं। अयोध्या मसले का हल कोर्ट से बाहर होना चाहिए। कोर्ट का फैसला साफ होना चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो यह फसाद की जड़ बनेगा। वर्तमान में जो हालात हैं, उसमें मुसलमान वहां मस्जिद नहीं बना पाएंगे। इसलिए यह जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए।
सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी निसार अहमद कहते हैं कि यह पूरा मामला राजनीतिक व धार्मिक नेताओं का है। मजहब के नाम पर हमें लड़ाया जा रहा है। दंगों में आम लोग मरते हैं, बड़े लोग सुरक्षित रहते हैं। कोर्ट का जो भी फैसला आए, उसका असर अपने जीवन पर न होने दें। रिटायर्ड आइएएस अनीस अंसारी ने कहा कि ये जमीन मुस्लिम समाज के पास है जिसे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के जरिए सरकार को वापस कर देना चाहिए। इसकी जगह कहीं और मस्जिद बनाने की जमीन दी जाए। बता दें कि इस मामले में आगामी हफ्ते में फैसला आने की उम्मीद की जा रही है।
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