इस समय आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि चल रही है। इस गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से हुई थी, जिसका समापन 27 जून को होगा। वर्ष में दो नहीं बल्कि चार नवरात्रि होती है. दो नवरात्रि में जहां धूमधाम से देवी के मंदिरों तथा घरों में कलश स्थापना कर पूजा की जाती है, तो वहीं वर्ष के दो नवरात्रि ऐसी होती है जो गुप्त होती हैं. गुप्त नवरात्रि में दसों महाविद्या की पूजा होती है तथा उनका आह्वान किया जाता है. नवमी के दिन विधि-विधान से पूजा के साथ ही हवन किया जाता है। आइये आपको बताते है गुप्त नवरात्रि की नवमी के दिन किस प्रकार पूजा करनी चाहिए...
पूजा सामग्री की लिस्ट:-
लाल चुनरी
लाल कपड़ा
मौली
श्रृंगार का सामान
दीपक
घी/ तेल
धूप
नारियल
चावल
कुमकुम
फूल
देवी की प्रतिमा या फोटो
पान
सुपारी
लौंग
इलायची
बताशे या मिसरी
कपूर
फल-मिठाई
कलावा
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माघ गुप्त नवरात्रि नवमी पूजा विधि:-
नवमी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान के पश्चात् घर के पूजा स्थान पर प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा आरंभ करें। गणेश जी को फूल, माला और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। इसके बाद मोदक का भोग लगाएं। फिर धूप-दीप से गणपति की आरती करें। भगवान गणेश की पूजा के पश्चात् मां मातंगी की पूजा शुरू करें। माता को जल या पंचामृत से स्नान कराएं। फिर माता को लाल चुनरी अर्पित करें। आभूषण, पुष्प हार चढ़ाएं। इत्र, कुमकुम आदि अर्पित करें। साथ ही कुमकुम से तिलक लगाएं एवं लाल फूल चढ़ाएं। अक्षत और नारियल चढ़ाएं। फिर माता को भोग अर्पित करें। अंत में माता रानी की आरती करें। फिर 'ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:' इस मंत्र का जाप करते हुए पूजा में हुई गलतियों के लिए माता से क्षमा मांगें। पूजा के पश्चात् प्रसाद बांटे और खुद भी ग्रहण करें।