Oct 30 2015 10:27 AM
नई दिल्ली : दीपावली के मद्देनजर जहाँ एक ओर पूरे देश में घर से लेकर बाहर तक सफाई हो रही है तो वहीं राजधानी दिल्ली में कुड़े-करकट का अंबार लगा हुआ है। इसका कारण न तो निगम को पता है और न दिल्ली सरकार को, दोनो ही इससे पल्ला झाड़ रहे है। लेकिन आम आदमी को पता है कि ये सरकार और नगर निगम की तनातनी का नतीजा है, क्योंकि इसके भुक्तभोगी भी वही है।
शुक्रवार को दिल्ली के अखबारों में एक विज्ञापन प्रकाशित किया गया, जिसमें केजरीवाल ने साफ-साफ लिखा है कि नगर निगम दिल्ली सरकार के अधीन नहीं आते हैं। ऐसे में ये गलतफहमी फैलाई जा रही है कि दिल्ली सरकार निगम को पैसे नहीं दे रही है। कानून के हिसाब से कुछ पैसे दिल्ली सरकार को देने होते हैं।
डीडीए ने नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स के 1500 करोड़ नहीं दिए हैं। तो ऐसे में केंद्र की जिम्मेदारी बनती है कि वो निगम को पैसे दिलाए। इस विज्ञापन के बाद केंद्र और केजरीवाल दोनो में फिर से टक्कर होना लाजमी है। पह इस टकरार का परिणाम पब्लिक भोग रही है, सबसे ज्यादा परेशानी पूर्वी दिल्ली में हो रही है। वेतन न मिलने के कारण सफाई कर्मी हड़ताल पर है।
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