कभी 10 रुपए नहीं थे प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए, आज पद्मश्री से नवाजी गई
कभी 10 रुपए नहीं थे प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए, आज पद्मश्री से नवाजी गई
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रांची: झारखंड की तीरंदाज बेटी ने तीरों के जरिए अंततः पद्म श्री पर भी निशाना लगा ही लिया, सोमवार को दीपिका को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया। रांची से 25 किमी दूर रातु गांव में रहने वाली दीपिका की मां एक नर्स है और पिता एक ऑटो ड्राइवर है।

एक वक्त ऐसा था, जब दीपिका के पास प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए 10 रुपए की एंट्री फीस भी नहीं थी, दीपिका को अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है, इसके अलावा वो 2011-13 तक वर्ल्ड में रजत पदक पर भी निशाना साध चुकी है।

शुरुआत के दिनों में दीपिका बांस से धनुष औऱ तीर से निशाना लगाती थी और इसी से किए गए प्रैक्टिस के बलबुते आज वो नंबर वन आर्चर है। 21 वर्षीय दीपिका को जब पद्मश्री अवॉर्ड दिए जाने की बारी आई तो दीपिका ने कहा कि उम्मीद तो थी, लेकिन ये नहीं पता था कि इतनी जल्दी मिल जाएगा।

दापिका के घर जाने पर आपको एक कमरा केवल उसके मैडलों से सजा मिलेगा और आज भी उसकी मां गीता देवी मेहमानों का स्वागत उसी लाल चाय से ढेर सारे प्यार के साथ करती है। दापिका का अगला लक्ष्य रियो ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है।

बता दें कि दीपिका के साथ झारखंड की पर्यावरणविद सिमोन उरांव के लिए भी पद्मश्री अवॉर्ड की घोषणा हुई थी। उनकी फैमिली ने बताया कि सिमोन को सम्मानित करने के लिए 12 अप्रैल को राष्ट्रपति भवन बुलाया गया है।

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