नईदिल्ली। दीपावली के पर्व के बाद अब देशभर के मंदिरों में अन्नकूट के आयोजन होंगे। अन्नकूट के आयोजन के साथ कुछ मंदिरों में भगवान को 56 भोग लगाया जाएगा। दरअसल दीपावली के बाद मंदिरों में अन्नकूट लगाए जाने की परंपरा है। दरअसल अन्नकूट के तहत विभिन्न धान्यों को पीसकर, कूटकर मिला लिया जाता है और उसका व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। कहीं कहीं पर धान्यों के अलग - अलग पकवान व मिष्ठान्न तैयार किए जाते हैं।
माना जाता है कि दीपावली के दिन से ही द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत के माध्यम से बृज वासियों की इंद्र के कोप से रक्षा की थी और गोवर्धन व गायों के पूजन के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पके हुए अन्न का भोग लगवाया था। जिसके बाद से ही दीपावली के बाद अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। दीपावली पर प्रारंभ हुआ अन्नकूट महोत्सव एक माह तक चलता है जिसमें विभिन्न मंदिरों में पूजन - अर्चन होता है और मंदिरों में 56 भोग और अन्नकूट का भोग लगता है।
मालवा में बड़े पैमाने पर मंदिरों में अन्नकूट के आयोजन होते हैं। अन्नकूट के दौरान गेहूं के पकवान, मेवे की मिठाईयां, विभिन्न तरह के लड्डू आदि रखे जा सकते हैं। अन्नकूट का प्रसाद पाने के लिए मंदिरों में श्रद्धालु उमड़ते हैं। दीपावली के बाद सोमवार से कई मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन प्रारंभ हो गया है। कुछ मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा अपने घरों से तैयार पकवानों का भोग लगाकर अन्नकूट और 56 भोग का आयोजन किया जाता है।