झांकियों के साथ निकलता है श्री गणेश का कारवां, भगवान अनंत देते हैं समृद्धि का वरदान
झांकियों के साथ निकलता है श्री गणेश का कारवां, भगवान अनंत देते हैं समृद्धि का वरदान
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भारत वह देश जो विविधताओं से संपन्न है। यहां हर दिन कोई त्यौहार और कोई उत्सव मनाया जाता है। कहा भी जाता है कि यहां का निवासी भले ही धन से संपन्न न हो फिर भी उसके चेहरे पर संतुष्टि और खुशियों के भाव रहते हैं। यही नहीं देश में श्रावण के बाद से तो जैसे त्यौहारों की झड़ी ही लग जाती है। इन्हीं पर्वों में एक पर्व आता है अनंत चतुर्दशी का। जी हां, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है।

इस दिन जहां भगवान अनंत का पूजन होता है वहीं श्रीगणेश विसर्जन की धूम रहती है। ऐसे में जगह-जगह से श्रीगणेश विसर्जन चल समारोह निकाले जाते हैं। भगवान श्रीगणेश के इन विसर्जन चलसमारोह के साथ लोग श्रद्धा और उल्लास के रंग में नाचते - गाते हुए चलते हैं। कई बार श्रद्धालु गुलाल उड़ाते और भक्तिरस में झूमते हुए चलते हैं।

ऐसे में जगह-जगह श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। मायानगरी मुंबई में श्री गणेश की माया से जहां पूरा माहौल उल्लासित हो जाता है तो दूसरी ओर कई जगह यातायात बाधित हो जाता है। मध्यप्रदेश के उज्जैन और इंदौर में अनंत चतुर्दशी पर उत्साह का कारवां ही निकल पड़ता है।  इंदौर में भंडारी मिल, जवाहर मार्ग, नंदलालपुरा, सब्जिमंडी, नावेल्टी, कपड़ा बाजार, कपड़ा बाजार, खजूरी बाजार, चिमनबाग, नगर निगम आदि मार्गों से होते हुए झांकियों का कारवां समाप्त होता है। इस दौरान कई गणेश पांडाल श्री गणेश की मूर्तियों को विसर्जन के लिए लेकर जाते हैं। 

देर रात तक झिलमिलाती झांकियों का कारवां सड़कों पर निकल पड़ता है। झिलमिलाती झांकियां जहां सामाजिक संदेश देती हैं तो वहीं हमारी पौराणिक मान्यताओं और धार्मिक संदेशों का सामने लाती हैं। पहले जहां देश में सार्वजनिक उपक्रमों और मिलों से जीवन धड़धड़ाता था तो उस दौर में मिल के श्रमिक आकर्षक झांकियों का निर्माण करते थे। मगर मिलें बंद होने के बाद झांकियों के निर्माण में कुछ कमी आ गई लेकिन आज भी मध्यप्रदेश के इंदौर में इंदौर टेक्सटाईल समेत कई मिलों द्वारा झांकियां निकाली जाती हैं।

जिन्हें श्रद्धालु निहारने उमड़ते हैं। बच्चे बेहद खुश होकर इन झांकियों को उत्साह से निहारते हैं। लोग करते हैं भगवान अनंत का पूजन - भगवान श्री हरि विष्णु का एक और नाम अनंत भी है। जिस तरह से अनंत अर्थात किसी भी तरह का अंत न होना है। उसी तरह से भगवान श्री हरि का साकार स्वरूप में भी अंत नहीं है निराकार स्वरूप में ज्योर्तिपुंज होने के कारण उनका कोई अंत नहीं है। ऐसे में उन्हें अनंत कहा जाता है।

इस दिन उनका पूजन किया जाता है। पूजन के लिए उनका व्रत किया जाता है। अनंत के तौर पर भगवान श्री हरि का पूजन होता है। पुरूष दाएं और स्त्रियां बाऐं हाथ में अनंत धारण करती हैं। दरअसल यह एक तरह का रक्षासूत्र होता है। जो कि कलेवा या राखी की तरह होता है। महिला अनंत और पुरूष अनंत गोप में अंतर होता है। रूई और रेशम के लाल और पीले रंग के अनंत को बदलकर उसका पूजन किया जाता है। अनंत के धागे में 14 गांठ होती है।

भगवान अनंत को कलश पर भगवान श्री हरिविष्णु की मूर्ति के साथ प्रतिष्ठापित कर उनका पूजन किया जाता है। भोग के तौर पर भगवान अनंत चने की दाल के लड्डू तैयार किए जाते हैं और भगवान अनंत का पूजन किया जाता है। इस दौरान ब्राह्मण को पाव भर या अपनी क्षमता के अनुसार पेढ़े या मिठाई अथवा अन्य भोज्यपदार्थ दान देने का विधान भी है। भगवान श्री अननंत के पूजन से सुख, समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलता है।

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