हौसलों की उड़ान.. पैरों की अंगुलियों से भरती है कला के रंग
हौसलों की उड़ान.. पैरों की अंगुलियों से भरती है कला के रंग
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नई दिल्ली: यदि किसी के हाथ या पैरों की अंगुलियां कट जाये या फिर ये किसी काम की नहीं रहे तो उस व्यक्ति का जीवन नर्क के समान हो जाता है। न खा सकता है और न ठीक से चल सकता है, फिर लिखने या चित्र बनाने की बात तो दूर की है। लेकिन यहां एक ऐसी महिला का उदाहरण सामने आया है, जिसने अपने दोनों हाथों और दाहिनी पैर की अंगुलिया न होने के बाद भी हौसलों की उड़ान भरी। 

जिस महिला की यहां बात हो रही है, उसका नाम शीला शर्मा है और वह अपने दूसरे पैर की अंगुलियों न केवल लिखने का कार्य आसानी से कर लेती है वहीं कला के रंग भी भरती है। अर्थात वह अच्छे चित्रकार के रूप में अपनी पहचान बना रही है। शीला शर्मा ने बताया कि एक रेल हादसे में करीब चार वर्ष की उम्र में ही उसने दोनों हाथों व दाहिने पैर की अंगुलिया गंवा दी थी, परंतु उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने जीवन का सफर आगे जारी रखते हुये खुद को पैरों और मुंह की मदद से लिखना ही नहीं बल्कि चित्र बनाना तक सीख लिया। 

हाल ही में शीला शर्मा द्वारा उकेरे गये चित्रों को एक प्रदश्रनी में प्रदर्शित किया गया है। विकलांग कलाकारों की प्रदर्शनी में लगे शीला के चित्र काफी पसंद किये जा रहे है। अभी 48 वर्ष की दहलीज पर कदम रखने वाली शीला शर्मा का कहना है कि यदि व्यक्ति कुछ कर गुजरने की चाह रखे तो सफलता अवश्य ही मिलती है। उनका कहना है कि व्यक्ति को कभी निराश नहीं होना चाहिये। हिम्मत से कार्य करने वाले को ईश्वर भी साथ देता है। उन्होंने बताया कि जिस वक्त उसके साथ हादसा हुआ था, उसके गम में उसकी माॅं भी चल बसी थी लेकिन इसके बाद भी उसने हौसला नहीं खोया और आज उनके बनाये गये चित्र प्रदर्शनी में प्रदर्शित हो रहे है।

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