यादों में हमेशा जिन्दा रहेंगे 'गब्बर'.....
यादों में हमेशा जिन्दा रहेंगे 'गब्बर'.....
Share:

फिल्म 'शोले' का 'सो जा बेटा नहीं तो गब्बर आ जाएगा' डायलॉग सुनकर तुरंत आपके दिमाग में अमजद खान का चेहरा आ जाता है. अमजद खान का जन्‍म 12 नवंबर 1940 को हुआ था. उन्‍हें कला विरासत के रूप में मिली थी उनके पिता जयंत फिल्म इंडस्ट्री के खलनायक रह चुके थे. उन्होंने बतौर कलाकार अपने सिने करियर की शुरुआत फिल्‍म 'अब दिल्ली दूर नहीं' से की थी. वर्ष 1973 में आई फिल्म 'हिंदुस्तान की कसम' में उन्होंने एक अभिनेता के तौर पर काम किया, लेकिन इस फिल्म से उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली.

अमजद खान को एक थियेटर में परफॉर्म करते देख पट‍कथा लेखक सलीम खान ने अपनी फिल्म 'शोले' में गब्बर के लिए उनके सामने प्रस्ताव रखा, जिसे अमजद खान ने स्वीकार कर लिया. 'शोले' में अपने किरदार गब्बर को लेकर अमजद खान ने खूब वाहवाही लूटी. इस किरदार ने उन्हें खलनायकी का बेताज बादशाह बना दिया. इस फिल्म के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अभिनय से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई रखी. अमजद खान पढाई पूरी करने के बाद निर्देशक के आसिफ के साथ असिस्टेंट के रूप में काम करने लगे बतौर कलाकार अमजद खान की पहली फिल्म मुहब्बत और खुदा थी जिसमे वह अभिनेता संजीव कुमार के गुलाम की भूमिका की थी इस बारे में बहुत कम लोग जानते है कि बतौर अभिनेता उनकी पहली फिल्म शोले नहीं थी.

अमजद खान जी ने सन 1972 में शैला खान से शादी कर ली थी और कुछ वर्षों बाद उनके घर एक पुत्र हुआ शादाब खान जिन्होंने कुछ फिल्मे भी की उनको एक पुत्री अहलाम खान और दूसरे पुत्र सीमाब खान है जो कि फिल्मों में नहीं आये कहते है पात्र लेखक की कठुतालियाँ होते है और भगवान की कठपुतली इंसान है जिसका समय पूरा होता है उसी की डोर खीच ली जाती है गोवा जाते समय दुर्घटना के बाद अमजद जी का बच जाना किसी खुदा के करिश्में से कम न था अमिताभ बच्चन ने उस संकट की घड़ी में अपना खून दिया और घंटो अस्पताल में प्रार्थना करते रहे अमजद  जी चंगे हुए, लेकिन वह मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर हो गए किन्तु इसी बीच उनके पिता का भी देहांत हो गया जिससे परिवार का सारा बोझ उन्ही के कंधो पर आ गया.

साथ ही वह कारटीजोन नामक बीमारी के प्रभाव में आकार मोटे हो गए जिससे वह दिन भर में केवल शुद्ध दूध और शक्कर की सौ प्याली चाय की आदत हो गयी इससे वजन बढ़ता गया और बेचारा दिल कब तक, कहाँ तक दम मारता और अंततः 27 जुलाई 1992 को भारतीय फिल्म का यह सितारा ह्रदय की गति रुकने से सदा के लिए अस्त हो गया लेकिन जब भी हिंदी फिल्मों के विलेन की चर्चा होगी तो गब्बर सिंह यानि अमजद खान जी के नाम सबसे पहले लिया जायेगा.

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -