अमेरिका का आरोप, कोरोना रिसर्च लैब पर साइबर हमले कर रहा चीन
अमेरिका का आरोप, कोरोना रिसर्च लैब पर साइबर हमले कर रहा चीन
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वाशिंगटन: अमेरिकी सरकार को पूरा यकीन है कि चीन कोरोना वायरस स्टडी के लिए उसके सिस्टम की जासूसी कर रहा है. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि उसके अस्पतालों, रिसर्च लैबों, फार्मा कंपनियों और हेल्थ केयर से सम्बंधित कंपनियों पर चीन साइबर अटैक कर रहा है, जिसकी तह तक पहुंचने के लिए US कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता. अमेरिका में चीन के लिए जासूसी करने के शक में कई हाई-प्रोफाइल लोगों को  गिरफ्तार भी किया है.

FBI ने पिछले हफ्ते दो गिरफ्तारियां की हैं. 13 मई को ओहियो से डॉ. क्विंग वांग को अरेस्ट किया गया है. वांग क्लीवलैंड क्लिनिक के पूर्व कर्मचारी हैं. उन्हें 3.6 मिलियन डॉलर के संघीय अनुदान से सम्बंधित धोखाधड़ी के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था. अभियोजकों का आरोप है कि वांग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान से अनुदान स्वीकार किया और इसकी शर्तों का उल्लंघन किया.

हालाँकि, वांग ने चीन की हुआझिंग युनिवर्सिटी के साथ अपनी संबद्धता के बारे में कोई खुलासा नहीं किया. वह लाइफ साइंस और टेक्नोलॉजी के कॉलेज के डीन थे. वांग ने चीन के 1000 टेलेंट प्रोग्राम में भाग लिया था. उन्हें चीन से 3 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया गया था और उन्होंने ये बात अमेरिकी सरकार से छिपाई थी. इसके साथ ही एक और वैज्ञानिक को भी हाल ही में अरेस्ट किया गया था. 63 वर्षीय इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग प्रोफेसर साइमन सौ-तोंग आंग. वह अर्कांसस-फेएटविले युनिवर्सिटी में एक रिसर्चर भी हैं.

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