हिसार: आज वर्ल्ड बॉयोफयूल डे है और इस अवसर पर हम आपको हरियाणा के हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापित किए जा रहे एग्रोवेस्ट बॉयोगैस प्लांट के बारे में जानकारी देंगे। प्लांट के बारे में कहा जा रहा है कि यह भारत में पहला ऐसा प्लांट होगा, जो किसानों की प्रत्येक समस्या का समाधान तो करेगा ही, इसके साथ ही उन्हें वित्तीय रूप से समृद्धिशाली भी बनाएगा।
देश के पहले अनोखे एग्रोवेस्ट बॉयोगैस प्लांट में गोबर के साथ ही पराली, गेहूं के फाने, कपास की लकड़ियां और सूखे पत्तों से सीएनजी बॉयोगैस भी बनाई जाएगी। इसस ट्रैक्टर और गाड़ियां में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। फसल निकलने के बाद व्यर्थ बचे पदार्थों जैसे धान के बाद पराली, गेहूं के बाद फाने, कपास के बाद लकड़ियां आदि किसानों के लिए परेशानी बन जाते हैं। ऐसे में अक्सर किसान इन अपशिष्ट पदार्थो को जला देते हैं।
किन्तु आने वाले वक़्त में किसानों को इन पदार्थो का ना केवल पैसा मिलेगा, बल्कि किसान इन बेकार समझे जाने वाले पदार्थो के माध्यम से ही खुद के साधन मसलन ट्रैक्टर, चक्की, ट्यूबवेल इत्यादि को खुद की बनाई ही ऊर्जा से चला पाएगा। यह बात सौ प्रतिशत सच है। दरअसल, हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के वाइज प्रोफेसर केपी सिंह एक खास बॉयोगैस प्लांट स्थापित करवा रहे है।
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