ये खबर पढ़ने के बाद पुरुष भी रखने लगेंगे अपने सर पर चोटी
ये खबर पढ़ने के बाद पुरुष भी रखने लगेंगे अपने सर पर चोटी
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भारत कई विविधताओं वाला देश है यहाँ बहुत से जाति और धर्म के लोग निवास करते है. भारत में बहुत सी परंपरा और रीति रिवाज प्राचीन काल से आज तक विद्यमान है जिन्हें बहुत से लोग आज भी सर्वोपरि मानते है और अपने सभी कार्य उसी अनुसार करते है.प्राचीन समय में स्त्री और पुरुषों में सिर अपर चोटी रखने का रिवाज था सभी महिलायें और पुरुष अपने सिर पर चोटी रखते थे. इनके सिर पर चोटी रखने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण माने जाते है.

वैज्ञानिक कारण- वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार जिस स्थान पर चोटी बाँधी जाती है वह स्थान मस्तिष्क के नियंत्रण का केंद्र है. और हमारे मस्तिष्क का नियंत्रण इसी जगह से होता है.

धार्मिक कारण- शास्त्रों के अनुसार बिना चोटी के कोई भी धार्मिक कार्य पूर्ण नहीं माना जाता है चोटी व्यक्ति के ज्ञान का प्रतीक होती है. इसलिए प्राचीन समय में वह व्यक्ति जो धार्मिक कार्य और ज्ञान का प्रचार करते थे उनके सिर पर छोटी अवश्य होती थी जिससे की उनके वेदपाठी होने का पता चलता था. साथ ही व्यक्ति की चोटी उसकी बुद्धि को भी नियंत्रित करती थी.

अधिक संवेदनशील मस्तिष्क- पुरूषों की अपेक्षा स्त्रियों का मस्तिष्क अधिक संवेदनशील होता है जिससे वातावरण में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बहुत जल्दी स्त्रियों पर होता है. स्त्रियों की चोटी इस नकारात्मक ऊर्जा से उनकी रक्षा करती है. सभी व्यक्ति के मस्तिष्क दो भागों से मिलकर बना होता है और जिस स्थान पर दोनों भाग आपस में जुड़े होते है वह स्थान बहुत अधिक सवेदनशील होता है इस स्थान को अधिक ठण्ड या गर्मी के प्रभाव से सुरक्षित रखने के लिए सिर की चोटी बहुत कारगर होती है.

 

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