आखिर वसुंधरा सरकार क्यों करवाती है अपना अपमान!
आखिर वसुंधरा सरकार क्यों करवाती है अपना अपमान!
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9 मार्च को मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों के इस्तीफे की आग राजस्थान भर में फैल गई। जो आग 8 मार्च को जयपुर के एसएमएस अस्पताल से शुरू हुई वह 9 मार्च को अजमेर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर, जोधपुर आदि संभाग मुख्यालयों तक पहुंच गई। मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के बैनर तले सरकारी डॉक्टर लगातार अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं।

अजमेर में तो मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ राजेन्द्र गोखरू ने भी इस्तीफा दे दिया। अब तक कोई पांच सौ से भी ज्यादा डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। इन डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने 7 मार्च को एक आदेश निकाल कर मेडिकल आफिसर्स को कॉलेज टीचर्स के समकक्ष बनाया है, वह पूरी तरह गलत है। सरकार को झुकाने के लिए ही सरकारी डॉक्टर लगातार इस्तीफे दे रहे हैं।

असल में इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों को यह भी अच्छी तरह पता है कि सरकार में इतनी हिम्मत नहीं कि वह इस्तीफा स्वीकार कर लें। डॉक्टरों को यह भी पता है कि पहले ही मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। ऐसे में सरकार संकट को और नहीं बढ़ाएगी। ऐसा प्रतीत होता है कि 7 मार्च का आदेश निकालने से पहले सरकार ने मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों को विश्वास में नहीं लिया।

सरकार में बैठे मंत्रियों और अधिकारियों ने बिना सोचे समझे आदेश निकाल दिया। जिस तरह से डॉक्टरों के इस्तीफे आ रहे हैं उसमें सरकार को 7 मार्च का अपना आदेश वापस लेना पड़ेगा। सवाल उठता है कि आखिर वसुंधरा राजे की सरकार डॉक्टरों की एकता के सामने क्यों अपमानित हो रही है।

आदेश के पक्ष में तर्क-

दूसरी ओर सरकार के सूत्रों का कहना है कि मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है और वर्तमान में कॉलेजों में पढ़ाने वाले अधिकांश शिक्षक अस्पताल में भी मरीजों का इलाज करते हैं। ऐसे में मेडिकल ऑफिसर्स को कॉलेज टीचर्स बनाकर कॉलेजों में पढ़ाई का काम करवाया जा सकता है। सरकार कुछ भी तर्क दे लेकिन कॉलेज टीचर्स यह नहीं चाहते कि अब मेडिकल ऑफिसर्स भी कॉलेजों में आकर पढ़ाने का काम करें। मेडिकल ऑफिसर्स के प्रवेश को रोकने के लिए ही सामूहिक इस्तीफे दिए जा रहे हैं।

मरीज परेशान-

मेडिकल टीचर्स और ऑफिसर्स का आपसी विवाद कुछ भी हो, लेकिन इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मरीजों के ऑपरेशन बंद हो गए है और डॉक्टर कोई इलाज नहीं कर रहे हैं। सरकार कितना भी दावा कर ले, लेकिन डॉक्टरों की एकजुटता के सामने सरकार बौनी साबित हो रही है। प्रदेश भर के मरीज भगवान भरोसे हैं। देखना है कि सरकार कितना झुक कर डॉक्टरों के सामने समर्पण करती है। 

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