पुराणों के अनुसार भादों महीने में इसका सेवन आपके लिए बुरा ही हो सकता है
पुराणों के अनुसार भादों महीने में इसका सेवन आपके लिए बुरा ही हो सकता है
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tyle="text-align:justify">सावन की रिमझिम के बाद बारिश का दूसरा महीना भादों शुरू हो गया है। शास्त्रों के अनुसार चतुर्मास का यह दूसरा महीना है। चार महीने तक चलने वाला श्रीहरि का शयन काल, चतुर्मास व्रत कहलाता है। भगवान के भक्त इन दिनों श्रीहरिनाम संकीर्तन व भगवद्कथा के श्रवण व कीर्तन में ही जोर देते हैं व हरिकथा, श्रवण-कीर्तनादि करते हुए ही चतुर्मास व्रत का पालन करते हैं। आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में जब सूर्य कर्क राशि में रहता है, तब जगत्पति भगवान मधुसूदन शयन करते हैं और जब सूर्य तुला राशि में आता है तब भगवान की जागरण लीला होती है। 
 
पुराणों के अनुसार भादों महीने में दही, मट्ठा और छाछ का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके पीछे वैज्ञानिक आधार यह है की इनके सेवन से लीवर और पाचन क्रिया में समस्याएं आती हैं। वैसे यह भोज्य पदार्थ सुपाच्च्य होता है। सुबह और दोपहर के भोजन में इसे खाना फायदामंद होता है। भोजन विशेषज्ञ भी इस महीने में इन चीजों का सेवन न करने की सलाह देते हैं। 
 
 भादों का महीना इस दौरान दूध, दही, छाछ और अन्य दुग्ध उत्पाद ग्रहण करने से बचें।
 
भक्तों की साधना का चरम लक्ष्य तो भगवान श्रीकृष्ण का प्रेम प्राप्त करना होता है। जबकि कर्मियों, ज्ञानियों व योगियों की साधना का लक्ष्य दुनियां के भोग, रिद्धियां-सिद्धियां अथवा मोक्ष होता है। भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु व उनके निज जनों ने हमें इस व्रत का पालन करने की शिक्षा प्रदान करने के लिए ही चातुर्मास्य व्रत का पालन किया।

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