जाने भगवान गणेश और उनके एक दंत की पौराणिक कथा के बारे में
जाने भगवान गणेश और उनके एक दंत की पौराणिक कथा के बारे में
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भारतीय संस्कृति के अनुसार धार्मिक कार्यो में अन्य देवताओ की अपेक्षा भगवान गणेश को सबसे पहले पूजा जाता है ताकि वह मंगलमय और आनंदपूर्वक हो. गणेशजी भगवान शिव के पुत्र है लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है की भगवान शिव ने भी गणेशजी की पूजा की थी एक बार भगवान शिव त्रिपुर नामक राक्षस से युद्ध करने जा रहे थे तो उन्होंने युद्ध से पहले गणेश जी की पूजा की थी ताकि वह त्रिपुर नामक राक्षस का वद्ध करके युद्ध में विजय प्राप्त कर संके.
 
भगवान गणेशजी को देवगणों का अधिपति नियुक्त किया गया है। गणेशजी की बहन का नाम अशोक सुंदरी हैं और उनके भाई का नाम कार्तिकेय है। दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ ऋग्वेद में भी भगवान गणेशजी का जिक्र है।
 
गणेश जी को एक दंत भी कहते है इसके पीछे भी एक कहानी है. एक बार की बात है जब शंकर भगवान कैलाश पर्वत पर ध्यान मग्न थे तब उसी समय परशुरामजी कैलाश पर्वत पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आये थे तब गणेश जी ने परशुरामजी को अन्दर आने से मना कर दिया,

इस बात से क्रोधित होकर परशुरामजी ने अपने फरसे से गणेश जी पर वार किया, यह फरसा भगवान भोलेनाथ ने परशुराम जी को दिया था इसलिए गणेश जी ने उनके द्वारा दिए हुए फरसे का अपमान न करते हुए परशुराम जी का वार अपने दांत पर झेल लिया तभी से भगवान गणेश एक दंत वाले कहलाये.

भगवान गणेश के दो विवाह हुए थे उनकी पत्नी का नाम ऋद्धि और सिद्धि था ये प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के दो पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है।

 

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