10 नवंबर तक हिरासत में भेजे गए AAP सांसद संजय सिंह, ED का दावा- इन्हे ही मिले थे रिश्वत के 2 करोड़ !
10 नवंबर तक हिरासत में भेजे गए AAP सांसद संजय सिंह, ED का दावा- इन्हे ही मिले थे रिश्वत के 2 करोड़ !
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नई दिल्ली: एक विशेष अदालत ने आज शुक्रवार (27 अक्टूबर) को दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह की न्यायिक हिरासत 10 नवंबर तक बढ़ा दी है। विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने आप नेता की न्यायिक हिरासत की अवधि बढ़ाते हुए उन्हें अपने परिवार के खर्चों और राज्यसभा सांसद के रूप में अपने कार्यों के लिए कुछ चेक पर हस्ताक्षर करने की भी अनुमति दी। 

कोर्ट ने जेल के अधिकारियों को उनके निजी डॉक्टर सहित उनका उचित इलाज सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया, हालांकि, इसने सिंह के वकील को यह भी निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके दौरे के दौरान उनके समर्थक और अन्य लोग चिकित्सा केंद्र में इकट्ठा न हों। कोर्ट ने कहा कि, 'अदालत को अभियुक्त को निजी उपचार देने से इनकार करने का कोई कारण नहीं दिखता। इसलिए, संबंधित जेल अधीक्षक को उचित उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।' 

AAP सांसद पर क्या है मामला?
बता दें कि, संजय सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद अदालत में पेश किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने संजय सिंह को 4 अक्टूबर को मामले में दिनेश अरोड़ा की गवाही के बाद गिरफ्तार किया गया था, अरोड़ा एक व्यवसायी हैं और अब मामले में सरकारी गवाह बन गए हैं। दिल्ली शराब घोटाले के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और ED द्वारा दर्ज मामलों में दिनेश अरोड़ा भी आरोपी थे। केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, दिनेश अरोड़ा के एक कर्मचारी ने दो मौकों पर संजय सिंह के घर पर 2 करोड़ रुपये पहुंचाए और उसने कथित घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

वहीं, संजय सिंह ने इस मामले में अपनी गिरफ्तारी को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए कहा था कि ED द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी और उसके बाद दिल्ली शराब घोटाला मामले के संबंध में उनकी ईडी हिरासत अवैध थी। उन्होंने आगे तर्क दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी ED द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई थी और यह कानून की प्रक्रिया का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग था। उन्होंने अपनी याचिका में यह भी दावा किया कि वह राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हैं। हालाँकि, हाई कोर्ट ने उनकी दलीलों से असहमति जताई और उन्हें खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि वे जांच के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं मानेंगे या सुझाव नहीं देंगे जब तक कि स्पष्ट सबूत न हों, और वे इसे बिल्कुल बिना सबूत वाले मामले के रूप में नहीं देखते हैं।

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