Jun 07 2016 06:47 AM
आंधी में उड आई मिट्टी की खुशबू की गजब निराली थी
नथुनो में भरकर असर दिखा, कर गई सबको मतवाली थी ।
आंखे फ़डकी, धडकी छाती, भडकी बांहे लहू खौल उठा
निश्चित ही यह पीत सुधा तो हल्दीघाटी वाली थी ॥
चलो करें कुछ बात हमारे गौरवमय इतिहासों की
कुटिल कंटकी चाल बिछी थी जहाँ मुगल के झांसों की ।
पर साम, दाम, भय, भेद के आगे वह तो झुक नहीं सकता था
जिसकी नजरों में कीमत थी बस आजादी की सांसों की ॥
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