उद्यापन बगैर नहीं मिलता है व्रत का शुभ फल
उद्यापन बगैर नहीं मिलता है व्रत का शुभ फल
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उद्यापन बगैर नहीं मिलता है व्रत का शुभ फल व्रत करना आसान है लेकिन व्रत पूरे होने पर उद्यापन भी करने की जरूरत होती है। वर्तमान समय में लोग व्रत तो कर लेते है लेकिन समयाभाव के कारण व्रत का उद्यापन नहीं करते है और यही कारण होता है कि व्रत का फल शुभ नहीं होता है, कहने का तात्पर्य यह है कि बगैर उद्यापन किया व्रत निष्फल ही रहता है इसलिये जरूरी है कि व्रत का उद्यापन किया जाये। भले ही किसी परिजन या परिचित को न बुलाया जाये या बहुत बड़ा आयोजन न करें, लेकिन योग्य ब्राह्मण से व्रत उद्यापन की विधि को संपन्न करना चाहिये।

नंदी पुराण और निर्णय सिंधु में यह वर्णन मिलता है कि उद्यापनं विना यत्रु तद् व्रतं निष्फलं भवेत। इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि सौभाग्यवती महिला को अपने पति की सहमति से ही व्रत या व्रत का उद्यापन करना चाहिये। बगैर अनुमति न तो व्रत का फल प्राप्त होता है और न व्रतोद्यापन का ही फल मिलता है।

व्रत का मतलब यह नहीं....

अमुमन लोग व्रत का मतलब यह समझते है कि व्रत करने से ही ईश्वर प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं को पूरा कर देगा। व्रत करने के लिये न केवल मन और तन शुद्ध होना चाहिये वही व्रत करने के पीछे किसी प्रकार का लालच भी नहीं करें।

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