पार्थिव शिव पूजन करें मनोकामना को पूरा
पार्थिव शिव पूजन करें मनोकामना को पूरा
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भगवान शंकर के पूजन की एक अन्य विधि पार्थिव पूजन भी बताई गई है। जो लोग भगवान शिव के मंदिर में जाकर पूजन अर्चन  नहीं कर सकते है, वे अपने घर में भी पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने से अपनी मनोकामना को पूरा कर सकते है। ज्योतिष शास्त्र में यह उल्लेख मिलता है कि पार्थिव शिवलिंग पूजन बहुत सामान्य होती है लेकिन शिवलिंग निर्माण में बहुत अधिक शुद्धता का ध्यान रखने की जरूरत है। 

पार्थिव शिवलिंग में किसी और के द्वारा पूर्व निर्मित मूर्ति नहीं बल्कि स्वनिर्मित शिवलिंग का पूजन होता है। पार्थिव शिवलिंग पूजन की पुरानी परंपराओं का उल्लेख हमारे शास्त्रों में है। नर्मदा नदी के किनारे आज भी शिव आराधना इस प्रकार की जाती है। इंदौर की महारानी और शिव की अनन्य भक्त अहिल्या बाई भी नर्मदा किनारे बसी महेश्वर नगरी में हर दिन पार्थिव शिवलिंग का पूजन कराया करती थी। पार्थिव पूजन के लिये पेड़ की जड़ के पास की मिट्टी या फिर गंगा, नर्मदा नदियों के तट की मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।

सतह से चार अंगुल नीचे की मिट्टी निकालकर शिवलिंग बनाना चाहिये। पूजन सामान्य रूप से ही होती है लेकिन पवित्रता का ध्यान रखना जरूरी होता है। विधि विधान के साथ पूजन करने के बाद किसी पवित्र नदी आदि में शिवलिंग को विसर्जित कर सुख समृद्धि के लिये प्रार्थना करना उत्तम होता है। पार्थिव शिवलिंग पूजन का महत्व लगातार बढ़ रहा है क्योंकि यह सरल है तथा भगवान शिव की कृपा भी शीघ्र प्राप्त हो जाती है।

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