हिन्दू मंदिर ध्वस्त कर यहाँ बनाया जा रहा है शॉपिंग मॉल, 1992 में भी हमला कर चुके है कट्टरपंथी
हिन्दू मंदिर ध्वस्त कर यहाँ बनाया जा रहा है शॉपिंग मॉल, 1992 में भी हमला कर चुके है कट्टरपंथी
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पाकिस्तान से एक बड़ी खबर आ रही है यहाँ खैबर पख्तूनख्वा प्रदेश में एक हिन्दू मंदिर को तोड़ दिया गया। इस मंदिर को तोड़ अब इस स्थान पर एक बड़ी इमारत खड़ी की जा रही है। इस मंदिर को गिराने की मंजूरी पाकिस्तान की सरकार ने ही दी है। यह मंदिर बीते तकरीबन 70 सालों से बंद था। पाकिस्तान की समाचार वेबसाइट के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा में अफगानिस्तान सीमा पर स्थित लंडी कोटल शहर में यह हिन्दू मंदिर ध्वस्त किया गया है। यह मंदिर लंडी कोटल में बीच बाजार में स्थित था। यह मंदिर 1947 से ही वीरान था।

1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के वक़्त यहाँ रहने वाले हिन्दू भारत चले आए थे। तत्पश्चात, मंदिर को बंद कर दिया गया था। बताया गया कि इस मंदिर पर 1992 में कुछ कट्टरपंथियों ने भी हमला किया था तथा एक भाग तोड़ दिया था। मंदिर की स्थिति दयनीय थी तथा बहुत प्राचीन होने के बाद भी पाकिस्तान की सरकार ने इसके संरक्षण के कदम ना उठा कर इसे गिराने की अनुमति दे दी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मंदिर के स्थान पर एक बड़ी इमारत बनाने को लेकर सरकार ने कोई आपत्ति नहीं जाहिर की। यहाँ तक कि सरकार ने यह मानने से मना कर दिया कि इस स्थान पर कोई मंदिर भी था। मंदिर की जगह पर कौन नई इमारत बनवा रहा है, इस बात की भी जानकारी ना सरकारी अफसरों ने दी एवं ना ही इस साईट पर काम करने वाले मजदूरों ने। राजस्व विभाग से जुड़े एक अफसर ने कहा कि लंडी कोटल की पूरी बाजार का क्षेत्र सरकार के स्वामित्व वाला है किन्तु इसमें मंदिर का कहीं कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी वजह से बिल्डर को यहाँ एक बड़ी इमारत बनाने की अनुमति दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी औकफ बोर्ड की होती है।

हालाँकि, लंडी कोटल खैबर जिले में स्थित है जो कि एक कबीलाई इलाका है तथा यहाँ बोर्ड का ना ही कोई दफ्तर है और ना ही कोई कर्मचारी है। लंडी कोटल में तैनात अन्य अफसरों ने भी मंदिर तोड़ कर इमारत खड़ी किए जाने को लेकर अनभिज्ञता व्यक्त की है तथा दोष एक दूसरे के मत्थे मढ़ने का प्रयास किया। एक अफसर ने जानकारी ना होने की बात कही तो दूसरे ने कहा कि पूरी प्रक्रिया का पालन हुआ है। हालाँकि, मंदिर के तोड़ने के विषय में संतोषजनक जवाब कोई नहीं दे पाया। मीडिया से चर्चा करते हुए पाकिस्तान हिन्दू मैनेजमेंट कमिटी के हारून सरब्दियाल ने कहा कि मंदिर को संरक्षित करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की थी। उन्होंने बताया कि जिले के कई विभाग इस जिम्मेदारी से बंधे हुए हैं कि वह मंदिर का संरक्षण करें। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि ऐसे ही चलता रहा तो हिन्दुओं के सभी मंदिर नष्ट हो जाएँगे।

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