लाल लंगोट धारण कर आप भी पा सकते है कुछ ख़ास
लाल लंगोट धारण कर आप भी पा सकते है कुछ ख़ास
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आप सभी जानते है कि जो लोग पहलवान होते है वे मूलतः लाल रंग का ही लंगोट पहनते है पर क्या आप इसके पीछे छिपे रहस्य को जानते है शास्त्रों में कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका संबंध बहुत गुप्त तरीके से ग्रहों को ठीक करने के लिए पुरातन काल से हो रहा है।

वाल्मीकि के रामचरित मानस में हनुमान जी को हमेशा लाल रंग का लंगोट पहने दर्शाया गया है हनुमान जी की लाल लंगोट के पीछे कुछ गहरे रहस्य छिपे हैं जिनका संबंध न केवल ब्रह्मचर्य पालन से होता है अपितु लाल लंगोट व्यक्ति की मानसिक स्थिरता और शारीरिक बल को ठीक रखने में सहायक है।

दरअसल ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार लाल रंग के लंगोट का सीधा संबंध व्यक्ति के शारीरिक बल और उसकी निष्ठा से जुड़े रहने से है । शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि कालपुरूष सिद्धांत के अनुरूप कुण्डली का सातवां भाव व्यक्ति के जननांगों और जीवनसाथी पर अपना अधिपत्य रखता है। सातवें भाव का नैसर्गिक स्वामी मूलत: शुक्र कहलाता है। जो भोग विलासिता और कामुकता के स्वामी हैं। शुक्र का कुण्डली में बिगड़ना व्यक्ति के लैंगिक रिलेशनशिप और लैंगिक संबंधों में कमजोरी और वीर्य स्खलन के लिए जिमेदार होता है।

अतः शुक्र की मलीनता को मात्र मंगल द्वारा ही ठीक किया जा सकता है अर्थात सांतवें भाव पर मंगल को स्थापित कर दिया जाए। लाल लंगोट अथवा लाल अंडरवियर पर मंगल का अधिपत्य होता है जिसको पहनने से शुक्र की मलीनता दूर होती है। व्यक्ति का मन कामुकता से हटकर ब्रह्मचार्य की और अग्रसर होता है और व्यक्ति के शारीरिक बल में अत्यधिक बड़त होती है। लाल लंगोट को हनुमान जी पर अर्पण करने से संसारिक संबंध सुधरते हैं।

 

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