क्या आपको पता है कौन है ब्रम्हा, विष्णु महेश के पिता
क्या आपको पता है कौन है ब्रम्हा, विष्णु महेश के पिता
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वेदों की बात करें तो उनके अनुसार जिसने जन्म लिया हो या प्रकट हुआ ईश्वर नहीं हो सकता. शिव पुराण की बात करें तो ब्रह्म को अविकारी परमेश्वर माना गया है. शिव पुराण के अनुसार जब इस संसार की उत्पत्ति भी नहीं हुई थी उस समय तत्सद ब्रह्म ही थे. ना तो ब्रहमा थे ना विष्णु और ना ही महेश.

कहते हैं काल के बाद तत्सद ब्रह्म की एक से अनेक होने की इच्छा हुई. वह परब्रह्म सदाशिव है. उस सदाशिव ने शक्ति की सृष्टि की जो उनके अंग से अलग होने वाली नहीं थी. सदाशिव की उस शक्ति को विकार रहित बताया गया है.

भगवान सदाशिव के उस शक्ति को अंबिका कहा गया. कहा जाता है कि देवी अंबिका ने ही लक्ष्मी, सावित्री और पार्वती के रुप में जन्म लेकर ब्रहमा, विष्णु और महेष से विवाह किया और उस कालरुप सदा शिव की अर्धांगिनी है दुर्गा.

कहते हैं मोक्ष के स्थान काशी में ‘शक्ति और शिव’, अर्थात सदाशिव और दुर्गा पति और पत्नी के रूप में निवास करते हैं. एक बार शिव और शिवा की किसी दूसरे पुरुष की उत्पत्ति करने की इच्छा हुई जिसके बाद परमेश्वर रुपी शिव ने अपने वामांग पर अमृत मलकर एक पुरुष को प्रकट किया और उनका नाम “विष्णु” रखा.

शिवपुराण के अनुसार भगवान विष्णु को प्रकट करने के बाद अपने दाहिने अंग से ब्रहमा जी को उत्पन्न किया और विष्णु के नाभि कमल में डाल दिया. इस प्रकार उस कमल के पुत्र के रुप में ब्रहमा जी का जन्म हुआ. इस प्रकार ब्राह्म से सदाशिव, सदाशिव से दुर्गा और दुर्गा सदाशिव से ब्रहमा, विष्णु और महेश. इससे हमें यही पता चलता है कि ब्रहमा, विष्णु और महेश के पिता काल रुपी सदाशिव हैं.

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