जानें देश के हृदयस्थल मध्यप्रदेश के दर्शनीय स्थलों के बारे में
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भोपाल: मध्यप्रदेश को “भारत का हृदय” कहा जाता है और यह देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। इस राज्य का इतिहास, भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और यहां के लोग इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं। इसकी राजधानी भोपाल है, जो झीलों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है। मध्य प्रदेश पर्यटन, पर्यटकों को तलाशने और आनंदित करने के लिए पर्यटन के सभी पहलू प्रदान करता है। बांधवगढ़ नेशनल पार्क में टाइगर देखने से लेकर खजुराहो के मंदिर की मूर्तियों में आप वास्तविक भारत को खोज सकते हैं।

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मध्यप्रदेश में अनेकों ऐसी जगह हैं जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं साथ ही यहां के दर्शनीय स्थल वर्तमान समय में अपनी अलग ही छटा विखेर रही हैं। भारत का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश पूरे देश में अपनी खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है। इसका हर एक कोना अपने आप में ही खास माना गया है। यहां के हर टूरिस्ट स्पॉट पर आपको कुछ ना कुछ अनोखा और खूबसूरत देखने को जरूर मिलेगा।

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यहां हम आपको मध्यप्रदेश के कुछ दर्शनीय स्थलों के बारे में बता रहे हैं-

1. ओरछा- ओरछा का नाम ही इसकी खासियत को झलकाता है यहां प्रसिद्ध राम राजा का दरबार है जहां भगवान राम के स्वयं चरण स्थापित हैं। ओरछा शब्द का मतलब होता है गुप्त स्थान, पहाड़ों की गोद में बसी यह जगह झांसी से 16 किमी की दूरी पर स्थित है। ओरछा में कदम रखते ही आप खुद को इतिहास के बीते पलों में महसूस करने लगेंगे जिनकी आप अब तक कहानियां ही सुनते आए हैं। इतिहास के वो पन्ने जब राम राजा दरबार में बैठे होते थे, सैनिक अस्त्र-शस्त्र लेकर महल में खड़े होते थे और रानियां परदे के पीछे से दरबार को देख रही होती थीं, वो सब आपके सामने खुल से जाएंगे।

2. कान्हा नेशनल पार्क- मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। कहा जाता है कि लेखक रुडयार्ड किपलिंग को ‘जंगल बुक’ नाम के अपने विश्व प्रसिद्ध उपन्यास लिखने के लिए प्रेरणा इसी जंगल से मिली थी। कान्हा नेशनल पार्क अपने संरक्षण के लिए पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां आपको अलग-अलग प्रजातियों के जानवर देखने को मिलते हैं। अपनी एक अलग ही खूबसूरती समेटे ये पार्क 1945 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।


3. सांची- सांची प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है जो कि स्मारकों और बौद्ध स्तूपों के लिए प्रसिद्ध है। इसे शांति, पवित्रता, धर्म और साहस का प्रतीत माना जाता है। कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने इसका निर्माण बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कराया था।


4.उज्जैन- महाकवि कालिदास ने अपनी श्रेष्ठ रचना 'मेघदूत' में उज्जैन का बहुत ही सुंदर वर्णन करते हुए कहा है कि जब स्वर्गीय जीवों को अपना पुण्य क्षीण हो जाने पर पृथ्वी पर आना पड़ा, महाकवि ने लिखा है कि उज्जैन भारत का वह प्रदेश है जहां के गांव में बसे बडे-बुढे लोग खुशी और प्रेम की गाथा सुनाते है। यह शिप्रा नदी के तट पर स्थित है और सबसे पुराने और पवित्र भारतीय शहरों में से एक है। प्राचिन समय का उज्जैन, शिक्षा का एक केंद्र होने के साथ सांदीपनी ऋषि, महान कवि कालिदास, राजा विक्रमादित्य और सम्राट अशोक की यादों से पावन है। उज्जैन भव्य कुंभ मेले का आयोजन स्थल है, जो बारह साल में एक बार आयोजित किया जाता है। देश के प्रमुख तीर्थयात्रा स्थानों में से एक उज्जैन के उल्लेख वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में मिलते है। देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक यहां बसा हुआ है।

5.खजुराहो- अपने मंदिरों की मूर्तिकला की महिमा से खजुराहो दुनिया को स्तब्ध कर देता है। चंदेल तथा राजपूत कुलों द्वारा 950 से 1100 ई. के बीच निर्मित यह मंदिर अनुपम हैं, जो हिंदू वास्तुकला और मूर्तिकला के कुछ सबसे उत्तम नमूनों का प्रतिनिधित्व करते है। ऐसे मंदिर, भारत का दुनिया के लिए अनोखा उपहार हैं। यहाँ, परमात्मा से मिलन के आसन में गढ़े पुरुष-महिला जोड़ों की मूर्तियों, शिल्पकला के शिखर का अनुभव दिलाती है। यह शिल्प जीवन का, खुशी का, प्यार का जय गान है, जो निष्पादन में परिपूर्ण और अभिव्यक्ति में उदात्त हैं  यहां रचनात्मकता की एक सच्ची प्रेरित लहर में यह शिल्प बनाए गए थे। ऐसे कुल 85 मंदिरों में से आज, केवल 22 मंदिर ही अस्तित्व में हैं।  

6. मांडू- मांडू का दौरा करने के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि मांडू के अवशेष और खंडहर रोम की तुलना में बेहतर हैं और यह स्थान दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता रखता है। राज्य सरकार भारत के एक महान व्यक्ति के इन प्रसिद्ध शब्दों को सच कर दिखलाने की कोशिश में जुटी हुई है। अपने स्मारकों, प्राकृतिक परिवेश और इतिहास के अलावा, राजसी सत्ता और धर्म के दायरे से परे प्रेम और भक्ति की कहानी, ‘मांडू' को अन्य मध्ययुगीन शहरों से अलग कर देती है। मांडू मालवा के वीर राजा बाज बहादुर और अद्वितीय सौंदर्य की मलिका, रानी रूपमती की प्रेमकहानी बयान करता है।  


7.पचमढ़ी- यह सदाबहार सतपुड़ा पर्वतमाला में बसा एक सुंदर हिल स्टेशन है, जो 1067 मीटर की ऊंचाई पर है। पचमढ़ी को पूरे वर्ष उत्कृष्ट मौसम का वरदान प्राप्त है, अपनी महान प्राकृतिक सुंदरता और शांति तथा एकांत इसकी सबसे अद्भुत विशेषताएं है। किंवदंतियों के अनुसार कहा जाता है की पचमढ़ी प्राचीन चट्टानों को काटकर बनी गुफाएं है, जहां पांच पाण्डव भाइयों ने शरण ले रखी थी। वर्ष 1857 में पचमढ़ी की खोज और विकास कैप द्वारा किया गया। बाद में, यह एक अद्भुत यात्रा स्थल में बदल गया।


8.ओंकारेश्वर- ओंकारेश्वर का मंदिर आस्था का एक रूप माना जाता है। खंडवा जिले में यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। शास्त्र में ये माना गया है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के भले ही सारी तीर्थयात्रा कर ले लेकिन जब तक वह यहां आकर तीर्थों का जल नहीं चढ़ाता तब तक उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं।


9.ग्वालियर- प्राचीन राजधानी का यह शहर, महान राजवंशों का उद्गम स्थल और वीरता की विरासत रहा है। इस शहर के नाम की कहानी 8 वीं सदी से है, जिसके अनुसार प्राचीन काल में सूरज सेन नामक मुखिया ने इस शहर की स्थापना की और एक घातक रोग से उसे ठीक करने वाले एक महान संत ग्वालिपा के नाम से इस शहर का नामकरण किया। महलों, मंदिरों और स्मारकों के शहर ग्वालियर पर प्रतिहार, कच्छवाह और तोमर जैसे महान राजपूत वंशों के शासकों ने शासन किया। स्वतंत्र भारत के गठन तक यहां सिंधियां वंश की शाही राजधानी की परंपरा जारी रही। यह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महान गायक तानसेन की भी भूमि रही है।  


10.भोपाल- मध्य प्रदेश की राजधानी का सुंदर शहर भोपाल, दो शानदार झीलों के आसपास सुरम्य रचना में बसा हुआ है। यह शहर सचमुच भारत के दिल में बसा हुआ है और आगंतुक पर आते ही साथ अपना जादू दिखाने लगता है। ऐतिहासिक स्मारक, पुरानी मस्जिदें और महल, झीलें, अच्छी तरह से रखरखाव किए हुए बगीचें और उद्यान, पुराने बाजार की हलचल और नया शहर पर्यटकों कों अपनी ओर आकर्षित करता हैं। भोपाल शहर का नाम, इसके संस्थापक राजा भोज के नाम से दिया गया। वे 10 वीं सदी के परमार वंश के प्रसिद्ध शासक थे और माना जाता है कि उन्हीं ने भोपाल की बड़ी झील का निर्माण किया था।  


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