कुम्भकर्ण की यही छोटी सी भूल उसके लिए जी का जंजाल बन गई
कुम्भकर्ण की यही छोटी सी भूल उसके लिए जी का जंजाल बन गई
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हमारे पौराणिक ग्रंथों में कई प्रकार की रोचक कथाएं दी गई है इन कथाओं को पढ़ने से हमें इससे जुड़े पात्रों के विषय में जानकारी तो मिलती ही है साथ ही इनसे व्यक्ति को ज्ञान भी प्राप्त होता है. ऐसी ही एक कथा रामायण में देखने को मिलती है जिसमे कुम्भकर्ण की एक छोटी सी भूल के कारण उसे पछताना पड़ता है. आइये जानते है कुम्भकर्ण की उस भूल के विषय में जिसके कारण उसका वरदान उसकी मुसीबत बन गया था.

इस बात को सभी जानते है की रावण के दो भाई और थे कुम्भकर्ण और विभीषण, जो की राक्षस जाति के थे और तीनों लोको पर राज्य करना चाहते थे. अपनी इन्ही इच्छाओं की पूर्ती व अपनी शक्ति का विस्तार करने के उद्देश से तीनो ब्रह्मदेव से वरदान प्राप्त करने के लिए उनकी तपस्या करने लगे.

उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रम्हदेव ने उन्हें वरदान मांगने को कहा रावण व विभीषण ने अपना अपना वरदान मांग लिया किन्तु जब कुम्भकर्ण की बारी आयी तो उसने भूल वस् इन्द्रासन मांगने की जगह उसने निन्द्रासन मांग लिया. जब तक कुम्भकर्ण अपनी भूल सुधारता ब्रम्हदेव उसकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए तथास्तु कह चुके थे.

अपनी इस भूल के कारण कई बार रावण को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. राम रावण युद्ध के समय भी कुम्भकर्ण निन्द्रासन में था जब उसकी जरूरत रावण को पड़ी तब वह सो रहा था जिसे उठाने के लिए रावण को अपने सैनिक भेजना पड़ा जो बड़े-बड़े नगाड़े लेकर कुम्भकर्ण के कान के पास बजाते और उसे उठाने का प्रयत्न करते थे तथा बहुत प्रयास के बाद ही कुम्भकर्ण को नींद से उठा पाते थे

 

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