शुभ कार्यों को शुरू करने से पहले करें इनकी वंदना
शुभ कार्यों को शुरू करने से पहले करें इनकी वंदना
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भगवान गणपति प्रथम पूज्य और विघ्नों के नाशक हैं। समस्त शुभ कार्यों में सबसे पहले उनकी वंदना की जाती है। भगवान शिव की तरह ही गणेशजी भी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी पूजन विधि बहुत आसान है। पूजन में उपयोग की जाने वाली कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जो उन्हें चढ़ाने पर शीघ्र भाग्योदय करती हैं। गणपति को दूर्वा अत्यंत प्रिय है। पूजन में दूर्वा चढ़ाने से वे अवश्य मनोकामना पूरी करते हैं। नित्य या बुधवार को पूजन करते समय उन्हें पांच, ग्यारह या इक्कीस दूर्वा चढ़ाएं।

इससे गणपति प्रसन्न होते हैं। दूर्वा उनके मस्तक पर अर्पित करें। इसके अलावा वे मोदक से भी प्रसन्न होते हैं। उन्हें मोदक का भोग लगाने का विधान है। गणेशजी को मोदक प्रिय होने की कई कथाएं प्रचलित हैं। पूजन के बाद भोग में मोदक चढ़ाने से वे अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। हनुमानजी की तरह गणेशजी भी सिंदूर को पसंद करते हैं। सिंदूर ऊर्जा का प्रतीक है और गणपति भी ऊर्जा, बुद्धि व सिद्धि के दाता हैं। उन्हें सिंदूर चढ़ाने के बाद स्वयं भी उससे तिलक करें। इससे व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और भाग्य का उदय होता है। 
 
भगवान गणेशजी की कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें चावल भी अर्पित किया जाता है। चावल साफ, बिना टूटे हुए और पवित्र होने चाहिए। सिंदूर मिले हुए चावल भी उन्हें प्रिय हैं। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति अकाल मृत्यु, रोग और अपयश से बचता है। उसके जीवन में सफलता आती है।

इस बात का रखें खास ध्यान
पूजन व धार्मिक संस्कारों में तुलसी पत्र चढ़ाने का विधान होता है। पूजन के दौरान भगवान का भोग तब तक संपूर्ण नहीं माना जाता, जब तक कि उन्हें तुलसी पत्र न चढ़ाया जाए। तुलसी दरिद्रता, रोग और पाप नष्ट करती है, लेकिन बहुत कम लोगों को ही यह जानकारी होगी कि भगवान गणेश के पूजन में तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता। इसके लिए एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार तुलसी ने गणेशजी को दो विवाह होने का शाप दिया था। इस पर गणेशजी ने भी उन्हें शाप दिया था कि तुम्हारी संतान असुर होगी।

बाद में तुलसी ने गणेशजी से क्षमा मांगी तो उन्होंने यह वरदान दिया कि कलियुग में तुम पवित्र पौधे के रूप में पूजी जाओगी। हर पूजन तुम्हारी उपस्थिति के बिना संपूर्ण नहीं होगा, लेकिन मेरे पूजन में तुलसी पत्र का उपयोग नहीं किया जाएगा। इस प्रकार गणेशजी के पूजन में तुलसी का उपयोग वर्जित माना गया है।

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